देश को आगे बढ़ाने के लिए लोकल से ग्लोबल और ग्लोबल से लोकल के बीच बिठाना होगा सामंजस्य- प्रो. भट्ट

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झाँसी। वैश्विक संकटों के समाधान में समाज कार्य सहायक है। समाज कार्य संस्थानों को चाहिए कि वे वैश्विक परिदृश्य के अनुरूप अपने पाठ्यक्रमों को संचालित करें।” उपरोक्त विचार अंतर्राष्ट्रीय समाज कार्य दिवस के अवसर पर बुंदेलखंड विश्वविद्यालय झाँसी के समाज कार्य विभाग द्वारा आयोजित कार्यशाला को ऑनलाइन संबोधित करते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय के समाज कार्य विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष एवं अंतर्राष्ट्रीय समाज कार्य फेडरेशन के उपाध्यक्ष प्रो संजय भट्ट ने व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि लोकल से ग्लोबल और ग्लोबल से लोकल के बीच सामंजस्य बिठाकर देश को आगे ले जा सकते हैं।
कार्यशाला को बुंदेलखंड प्रोफेशनल सोशल वर्कर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रो अजय चौरे ने ऑनलाइन संबोधित करते हुए कहा कि आज समाज कार्य विषय की भारत में महत्ता बढ़ी है। यही वजह है कि बुंदेलखंड क्षेत्र के आसपास शासकीय एवं निजी विश्वविद्यालयों में समाज कार्य शिक्षा प्रदान की जा रही है तथा सामाजिक विकास में ये संस्थान महत्वपूर्ण कार्य कर रहे हैं।

अंतर्राष्ट्रीय समाज कार्य दिवस के महत्व को रेखांकित करते हुए कार्यशाला संयोजक डॉ मुहम्मद नईम ने कहा कि वर्ष 1983 से इंटरनेशनल फ़ेडरेशन ऑफ़ सोशल वर्क प्रत्येक वर्ष मार्च के तीसरे मंगलवार को विश्व सामाजिक कार्य दिवस का आयोजन किया जाता है। इस वर्ष यह 19 मार्च को सामाजिक कार्यकर्ताओं के योगदान और उपलब्धियों के लिए उनके प्रयासों और परिश्रम का जश्न मनाने और समाज की भलाई के लिए एकजुट होने और एक साथ काम करने के लिए जागरूकता फैलाने के लिए मनाया जा रहा है। सामाजिक कार्यकर्ता सामाजिक न्याय, सामाजिक विकास और मानवाधिकारों के साथ-साथ समुदायों की सेवा करने के लिए सामाजिक कार्य की सर्वोत्तम प्रथाओं को बढ़ावा देने हेतु प्रयासरत हैं। इस अवसर पर कनिष्का पाठक, आस्था गुप्ता, श्रुति, अभिषेक यादव, किरन यादव द्वारा नुक्कड़ नाटक प्रस्तुत किया गया। कार्यशाला की अध्यक्षता डॉ यतीन्द्र मिश्रा ने, संचालन डॉ मुहम्मद नईम ने, स्वागत डॉ अनूप कुमार ने एवं आभार श्रीमती गुंजा चतुर्वेदी ने व्यक्त किया।

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