विवि : भारतीय वैदिक ज्ञान पर आधारित शिक्षा व्‍यवस्‍था को दिया जाएगा बढ़ावा

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झांंसी। बुन्देलखण्ड विश्‍वविद्यालय परिसर में संचालित शिक्षा संस्थान के तत्‍वावधान में 30 मार्च से प्रोटेक्टिगं अवर वैल्यूस् थ्रू एडवांसमेण्ट इन एजुकेशन एण्ड रिसर्च इन हयूमेनिटीज एण्ड वैदिक साईन्सेस विषयक दो दिवसीय राष्‍ट्रीय संगोष्‍ठी का आयोजन किया जा रहा है।
आयोजन सचिव डा. रश्‍मि सिंह ने जानकारी दी कि उद्घाटन समारोह बुन्देलखण्ड विश्‍वविद्यालय के गांधी सभागार में 30 मार्च काेे प्रातः 11 बजे से आयोजित किया जायेगा। उद्घाटन समारोह के मुख्य अतिथि बनारस हिन्दू विश्‍वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो0 गिरीश चन्द्र त्रिपाठी होंगे, जबकि अध्यक्षता बुन्देलखण्ड विश्‍वविद्यालय के कुलपति प्रो. सुरेन्द्र दुबे करेंगे।
डा. सिंह ने बताया कि भारत में प्रचलित शिक्षा पद्यति ब्रिटिश शासकों द्वारा अपने स्वार्थ तथा भारतीय वैदिक ज्ञान को समाप्त करने के लिए भारतीयों पर थोपी गई थी। यह हमारा दुर्भाग्य है कि स्वतत्रन्ता के 70 वर्षों के बाद भी आज तक हम अपनी शिक्षा पद्धति को पूरी तरह अपनाने में असक्षम रहे है और यहां तक कि वेद वर्णित पुरातन ज्ञान से हमारी दूरियांं निरन्तर बढ़ती ही जा रही हैंं। अब ऐसे वक्त में यह जरूरी हो गया है कि इस प्राचीन विज्ञान को समझा जायें, साथ ही उसको आज की शिक्षा पद्धति से जोडकर जनमानस और नई पीढ़ी तक साधारण भाषा में उपलब्ध करवाया जा सके।
उन्होंने बताया कि राष्‍ट्रीय संगोष्‍ठी का उद्देश्‍य निरन्तर बढ़ती जनसंख्या और कम होते संसाधनों के कारण वैदिक विज्ञान और शिक्षा पद्धति की प्रासंगिकता के प्रति लोगों को जागरूक करना है। मानविकी एवं वैदिक विज्ञान में शिक्षा और अनुसंधान में प्रगति के माध्यम से हमारे मूल्यों की रक्षा की जा सकती है।
डा0 सिंंह ने जानकारी दी कि दो दिवसीय राष्‍ट्रीय संगोष्‍ठी में देश के विभिन्न विश्‍वविद्यालयों तथा शिक्षा संस्थानों से दो सौ से अधिक शिक्षाविद् भाग लेने आ रहे हैं। डा. सिंह ने बताया कि विश्‍वविद्यालय के गांधी सभागार में 30 मार्च को शाम सात बजे से एक सांस्कृतिक सन्ध्या का भी आयोजन किया गया है। सांस्कृतिक सन्ध्या में प्रसिद्ध कवि पद्मश्री डा. सुनील जोगी द्वारा अपनी कविताओं का एकल काव्य पाठ भी किया जायेगा।

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