सृृृृजक सदैव ही विधाता के समतुल्य: कुलपति

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झांंसी। एक कलाकार निरन्तर कुछ न कुछ सृजन करता रहता है और सृजक सदैव ही विधाता के समतुल्य होता है। यह विचार बुन्देलखण्ड विश्‍वविद्यालय के कुलपति प्रो. सुरेन्द्र दुबे ने पत्रकारिता भवन में स्थित ललित कला संस्थान में छात्रों द्वारा अध्ययन के दौरान बनाए चित्रों तथा कलाकृतियेां की वार्षिक प्रदर्शनी ‘कला अभिव्यक्ति-2018’ का उद्घाटन करते हुए मुख्य अतिथि के रूप में व्यक्त किये।
उन्हाेंंने कहा कि सृजन विधाता द्वारा प्रदत्त एक विशेेेेष गुण होता है, हर व्यक्ति सृजन नहीं कर सकता है। उन्होंंनेे उपस्थित विद्यार्थियों से कहा कि आप भविष्‍य के कलाकार हैं। वर्तमान सामाजिक विद्रूपता के समय में मनुष्‍यता को बचाने का एकमात्र साधन कला साहित्य एवं संगीत ही है। संस्कृति एवं कला के बिना मानव एक पशुु के समान होता है। जिस प्रकार आयुर्वेद में कतिपय औष्‍ाधियां विरेचक का कार्य करते हुए हमारे श्‍ारीर से विषैले पदार्थो को बाहर निकालती हैं, ठीक उसी प्रकार विभिन्न कलाएं हमारे लिए मानसिक विरेचन का कार्य करते हुए दूष्‍ाित विचारों को हमारे मन मस्‍तिष्‍क से बाहर निकाल देती है। हमारी पीढ़ी हमारे देश के भविष्‍य बच्चों को मानवता का पाठ पढाने में चूक रही है। कला इस कार्य को पूरा कर सकती है।
प्रो. वीके सहगल ने संस्थान के विद्यार्थियेां द्वारा निर्मित चित्रों एवं कलाकृतियों की प्रसंशा करते हुए कहा कि विश्‍वविद्यालय के ये छात्र भविष्‍य के महान कलाकार बनने की शक्ति रखते है। उन्होेंने आशा व्यक्त की, कि जिन विद्याथियों की कृतियां यहां पर प्रदर्शनी में लगी है, वे अवश्‍य ही भविष्‍य में देश एवं विश्‍वविद्यालय का नाम रोशन करेंगे।
संकायाध्यक्ष कला संकाय प्रो. सीबी सिंह ने वर्तमान में ललित कला संस्थान नित नई ऊंचाईयेां को छू रहा है। इस हेतु संस्थान के शिक्षक, शिक्षिकाएं एवं छात्र-छात्राएं बधाई के पात्र है। उन्‍होंने कहा कि कला के विद्यार्थियों को कला के साथ साथ संचार कौशल में प्रवीणता लानी चाहिये। प्रो. वीपी खरे ने कहा कि कला के क्षेत्र में आज भी अपार सम्भावनाएं उपलब्घ है, आवष्यकता इस बात की है कि आप पूरी लगन ओर मेहनत से कार्य करते रहें। प्रो. अपर्णाराज ने प्रदर्शनी के प्रतिभागी छात्रों कों बधाई देते हुए कहा कि उनके कार्य एवं कलाकृतियों की जितनी भी प्रषसां की जाय, कम है। डा. डी.के.भट्ट ने कहा कि ललित कला संस्थान के विद्यार्थियों की रचनाएं प्रेरणादायक है, ये कृतियां संस्थान के अन्य छात्रों को भी प्रेरित करेंगी। इससे पूर्व प्रदर्शनी का शुभारम्‍भ कुलपति प्रो. सुरेन्द दुबे द्वारा रिबन काटकर किया गया। कुलपति तथा आमंत्रित अतिथियों द्वारा मां सरस्वती के चित्र के समक्ष दीप प्रज्जवलन तथा पुष्‍पार्चन किया गया। मंचासीन अतिथियों को पुष्‍प भेंटकर सम्मानित भी किया गया। प्रदर्शनी की एक विवरणिका का विमोचन भी अतिथियों द्वारा किया गया। सर्वप्रथम ललित कला संस्थान की समन्वयक डा. श्‍वेता पाण्डेय ने आमंत्रित अतिथियों का स्वागत करते हुए प्रदर्शनी की रूपरेखा प्रस्तुत की। उन्होंने कहा कि यह प्रदर्शनी ललित कला संस्थान के विद्यार्थियों द्वारा उनके सत्र 2017-18 के अध्ययन काल में बनाये गये कृतियों की होती है। डा. पाण्डेय ने जानकारी दी इस प्रदर्शनी का उद्देश्‍य विद्यााथियों की कृतियों एवं रचनाओं को आम जनता तथा नगर के प्रतिष्‍ठित कलाकारों तक पहुंंचाना होता है ताकि इन विद्यार्थियों को प्रेरणा प्राप्त हो सके। उन्होंने कहा कि संस्थान के इस प्रयास का यह चौथा वर्ष है तथा भविष्‍य में भी जारी रहेगा।
संस्थान के एक छात्र कुलदीप सिंह की कलाकृति को देखकर कुलसचिव सीपी तिवारी ने उन्हे एक हजार रूपये की धनराशि पारितोशिक के रूप मे प्रदान करने की घोषणा की, जिसे कुलपति द्वारा कुलदीप सिंह का प्रदान किया गया।
कार्यक्रम संचालन लीलाधर पाण्डेय ने किया तथा अतिथियों का आभार डा अजय कुमार गुप्ता ने व्यक्त किया।
ललित कला विभाग की समन्वयक डा.श्‍वेता पाण्डेय ने जानकारी दी कि प्रदर्षनी कलाप्रेमियों के दर्शनाथ 18 अप्रैैल तक प्रातः दस बजे से सांय पांच बजे तक खुली रहेगी।
इस अवसर पर परमार्थ संस्था के डा.संजय सिंह, डा.मोहम्मद नईम, डा.दिलीप कुमार, डा.जयराम कुटार, अजय राव, कमलेष कुमार, डा.नितिन भगोरिया आदि उपस्थित रहे ।

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