अध्ययनकाल की सक्रियता तय करती है जीवन की दिषाः प्रो. एमएम सिंह

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झांसी। बुंदेलखंड विश्वविद्यालय की राष्ट्रीय सेवा योजना की षष्ठम इकाई के तत्वावधान में शनिवार को जनसंचार एवं पत्रकारिता संस्थान में आयोजित बौद्धिक सत्र के अन्तर्गत ‘संवाद साहित्यकार से’ कार्यक्रम में हिंदी विभागाध्यक्ष डा. मुन्ना तिवारी और प्रख्यात साहित्यकार देवेंद्र भारद्वाज ने विद्यार्थियों को व्यंग्य विधा की बारीकियों और उसके इतिहास के बारे में विस्तार से जानकारी दी। इसी कार्यक्रम में साहित्यकार देवेंद्र कुमार भारद्वाज की नई पुस्तक ‘लाल किताब में लिखा था यूं ’ का विमोचन भी किया गया। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि अधिष्ठाता विज्ञान संकाय प्रो.एम.एम.सिंह ने कहा कि किसी भी शख्श के जीवन का स्वर्णिम काल होता है उसका अध्ययन काल। उन्होंने कहा कि अध्ययनकाल की सक्रियता ही हर व्यक्ति के जीवन की दिशा को तय कर देती है।
प्रो. सिंह ने प्रख्यात लेखक विलियम शेक्सपियर के कथन का उल्लेख करते हुए विद्यार्थियों को अपना लक्ष्य तय कर उसे हासिल करने के लिए पूरे मनोयोग से प्रयास करने की सीख दी। प्रो. सिंह ने एनएसएस के ध्येय गीत उठे समाज के लिए उठें उठंे को गाकर विद्यार्थियों से कहा कि इसमें जीवन का सबसे महत्वपूण संदेश शामिल है। जब आप सब स्वयं उठेंगे तो समाज निश्चित रूप से ऊपर उठेगा। पुस्तकें जीवन को सार्थक बदलाव संदेश देती हैं। यह ज्ञान के कोश में वृद्धि करती है। ज्ञान के बल पर ही जीवन को संवारा जा सकता है।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि और राष्ट्रीय सेवा योजना के मुख्य समन्वयक डा. मुन्ना तिवारी ने कहा कि व्यंग्य विधा समाज का दहकता दस्तावेज है। इसके माघ्यम से रचनाकार समाज को उसकी कमियां और विसंगतियां आईने की तरह दिखाता है। डा. तिवारी ने संत कबीरदास, सूरदास और घनानंद की विविध रचनाओं के माध्यम से व्यंग्य की विशिष्टताओं को रेखांकित किया। उन्होंने व्यंग्य की कई रचनाओं का उल्लेख भी किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे जनसंचार एवं पत्रकारिता संस्थान के पूर्व प्रमुख डा. सीपी पैन्यूली ने कहा कि रचनाकार समाज को सार्थक दिशा देता है। उन्होंने उम्मीद जताई कि देवेंद्र भारद्वाज की पुस्तक विद्यार्थियों को रचना संसार से जुड़कर कुछ सार्थक करने का संदेश देगी। कार्यक्रम के प्रारम्भ में मुख्य अतिथि और अन्य अतिथियों को बैज लगाकर उनका स्वागत किया गया। सबसे पहले एनएसएस के स्वयंसेवकों का साहित्यकार देवेंद्र भारद्वाज से परिचय कराया गया। भारद्वाज ने अपने अनुभवों को भी विद्यार्थियों से साझा किए। उन्होंने कहा कि सूचना ही सबसे बड़ी शक्ति है। इस बात को उन्होंने बड़ी शिद्दत से महसूस किया है। उन्होंने अपनी कृति का विमोचन विश्वविद्यालय के मंच पर कराने का निर्णय इसलिए लिया जिससे अधिक से अधिक युवाओं को जानकारी मिल सके। उनकी पुस्तक मुंबई के आरके पब्लिकेशन से प्रकाशित हुई है। इस पुस्तक में भारद्वाज की तीन दर्जन से अधिक रचनाओं को शामिल किया गया है। उन्होंने कुछ रचनाओं को भी विद्यार्थियों के समक्ष प्रस्तुत किया। इस कार्यक्रम में भारद्वाज सपत्नीक उपस्थित रहे। एनएसएस की छठवीं इकाई के कार्यक्रम अधिकारी डा. उमेश कुमार, ने शिविर की गतिविधियों का ब्यौरा सभी अतिथियों के सम्मुख पेश किया। इस अवसर पर साहित्यकार देवंेद्र कुमार भारद्वाज की की धर्मपत्नी श्रीमती कमलेश, अर्थशास़्त्र और वित्त नियंत्रण संस्थान की डा. यशोधरा शर्मा, डा. स्वप्ना सक्सेना, राघवेंद्र दीक्षित, सतीश साहनी, जय सिंह, अभिषेक कुमार, डा. अजय कुमार गुप्ता, जयराम कुठार, संस्कृत प्रशिक्षक रजनीकांत आर्य, वीरेंद्र कुमार समेत अनेक लोग उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन उमेश शुक्ल ने किया तथा अंत में समाज कार्य संस्थान के डा. मुहम्मद नईम ने सभी के प्रति आभार व्यक्त किया।

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