नई प्रसंस्करण एवं संरक्षण तकनीकियों से रोक सकेंगे कृषि एवं खाद्य उत्पादों की खराबीः प्रो.करुणाकर सिंह

फूड टेक्नोलाॅजी इंजीनियरिंग विभाग में सम्पन्न हुआ विशेष व्याख्यान

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झाँसी। हमारा देश फल और सब्जियों के उत्पादन के मामले में दूसरे स्थान पर है तथा अन्य कृषि एवं खाद्य पदार्थों के उत्पादन में भी शीर्ष देशों में शुमार है, परन्तु प्रति वर्ष करोड़ों के कृषि एवं खाद्य उत्पाद, क्षेत्र से लेकर उपभोक्ताओं तक पहुंचने में खराब हो जाते हैं। उचित प्रसंस्करण एवं संरक्षण तकनीकियों के प्रयोग से इस हानि को कम किया जा सकता है। यह विचार आज हरकोर्ट बटलर प्राविधिक विश्वविद्यालय, कानपुर के प्रतिकुलपति एवं संस्थान के खाद्य प्रौद्योगिकी विभाग के प्रो. करुणाकर सिंह ने व्यक्त किये। प्रो.सिंह आज बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के अभियांत्रिकी एवं प्रौद्योगिकी संस्थान में फूड टेक्नोलाॅजी इंजीनियरिंग विभाग द्वारा टी.ई.क्यू.आई.पी.-3 के अंतर्गत आयोजित विशेष व्याख्यान सत्र में फूड इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी के छात्र-छात्राओं को सम्बोधित कर रहे थे।

प्रो.सिंह ने कहा कि देश में फसल कटाई के बाद करीब 100 हजार करोड़ रुपये मूल्य के ताजे कृषि उत्पाद उचित रखरखाव, भंडारण, प्रसंस्करण व संरक्षण के अभाव में नष्ट हो जाते हैं। सही पोस्ट हार्वेस्ट प्रोसेसिंग तथा मैनेजमेंट एवं आॅटोमेशन के द्वारा इस हानि से काफी हद तक बचा जा सकता है । दुनिया की कुल आबादी में से 12 फीसदी लोग भुखमरी के शिकार हैं। यह हालत तब है जब पूरे विश्व में भरपूर अनाज और खाद्य पदार्थों का उत्पादन हो रहा है। उन्होंने कहा कि अमीर देशों में सालाना बर्बाद होने वाले लगभग 22 करोड़ लोगों के भोजन के बराबर उप सहारा अफरीकी देशों में खाद्य उत्पादन होता है। 2050 तक बढ़ी हुयी आबादी का पेट भरने के लिए पूरे विश्व को 60 प्रतिशत अधिक भोजन सामग्री उत्पन्न करने की जरुरत होगी। आगे उन्होंने बताया की कैसे हम नयी तकनीकियों जैसे कि माइक्रोवेव, हाई प्रेशर प्रोसेसिंग इत्यादि का प्रयोग करके खाद्य उत्पादों की गुणवत्ता बढ़ा सकते हैं । उपभोक्ताओं के लिए उच्च गुणवत्ता तथा मानकों वाले खाद्य पदार्थों का उत्पादन भारतीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के लिए अत्यंत आवश्यक और महत्वपूर्ण है । प्रो. सिंह ने अपने औद्योगिक अनुभव को छात्र-छात्राओं के साथ साझा करते हुए उन्हें विगत वर्षों में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के क्षेत्र में आयी चुनौतियों एवं अवसरों से अवगत कराया और कहा कि आने वाले समय में दुनिया भर में विभिन्न खाद्य से संबधित चुनौतियों तथा समस्याओं के समाधान के लिए फूड टेक्नोलाॅजिस्ट्स तथा इंजीनियर्स की भूमिका अति महत्त्वपूर्ण होगी। व्याख्यान सत्र के अन्त में संकायाध्यक्ष तथा निदेशक-अभियांत्रिकी- प्रो.एस.के.कटियार द्वारा प्रो.सिंह को स्मृति चिन्ह भेट कर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर फूड टेक्नोलाॅजी इंजीनियरिंग विभाग की समन्वयक डा. शुभांगी निगम, रवि कुमार, अंजली श्रीवास्तव, डा.जुनैद तथा टेक्विप-समन्वयक इंजी.ब्रजेन्द्र शुक्ला उपस्थित रहे ।

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