बढ़ती उम्र पर काबू पाने को मिली फैलोशिप

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झांसी। उम्र का बढ़ना एक प्राकृतिक प्रक्रिया है और इसे ऐसे रोका नहीं जा सकता है। झुर्रियांं और स्किन का ढीला होना उम्र बढ़ने का संकेत है, लेकिन आज कल की लाइफ स्टाइल के कारण एजिंग के ये संकेत उम्र से पहले ही दिखने लगते है। डीप्रेशन, स्ट्रेस और हार्मोनल असंतुलन बढ़ती उम्र के संकेतो को बताते है।
हर कोई हमेशा इसे रोकने के उपायों को करता है। खासतौर पर महिलाओं को तो चेहरे की झुर्रियांं कुछ ज्‍यादा ही परेशानी में डाल देती है। बढ़ती उम्र के इन संकेतों को कंट्रोल करने की लिए लोग तरह तरह के उपाय करते है। कुछ नये नये प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करते है, जिनमे कई केमिकल्स होते है और कुछ दिन बाद इससे त्‍वचा और खराब होने लगती है, परन्तु नेचुरल प्रोडक्ट्स कोई नुकसान या हानि नहीं पहुँचाता है। इसी को लेकर करगुवां जी में रहने वाले व्‍यवसायी देवपाल राठौर की पुत्री डॉ. लक्ष्मी राठौर ने अज्ज्वयन तथा पुनर्वा के पौधोंं के विभिन्न भागों का बढ़ती उम्र पर प्रभाव का अध्ययन किया। अपने अध्ययन में उन्होंने सी. एलेगंस को मॉडल के रूप में लिया तथा अपने शोध को उन्होंने विभिन्न जरनल्‍स में प्रकाशित कराया। उनके इस कार्य को बिस्तारपूर्वक अध्ययन हेतु उन्हें College of medicine University of Florida, USA से अपने शाेध को आगे बढ़ाने के लिए 55000 US डॉलर प्रति वर्ष की फ़ेलोशिप प्राप्त हुई है। बता दें कि लक्ष्‍मी राठौर बुन्‍देलखण्‍ड विश्‍वविद्यालय के बायोकेमेेेेस्‍ट्री विभाग की छात्रा रही हैं। उनकी इस उपलब्‍धि के बारे में जानकारी देते हुए विवि के बायोकेमेस्‍ट्री विभाग के विभागाध्‍यक्ष व सहायक प्राध्‍यापक डॉ. रमेश कुमार नेे उनको बधाई देते हुए उज्‍जवल भविष्‍य की कामना की। डॉ. लक्ष्‍मी ने प्रधान वैज्ञानिक डॉ. राकेश पाण्‍डे के निर्देशन में कार्य किया है।

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