उच्च शिक्षा पाठ्यक्रम आधारित न होकर ज्ञान आधारित होनी चाहिये: कुलपति प्रो.वैशम्पायन

0
702

झांसी। वैश्विक स्तर पर आगे ब्ढने के लिए देश में उच्च शिक्षा का स्वरूप पाठ्यक्रम आधारित न होकर ज्ञान आधारित होना चाहिये। यह विचार आज बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.जे.वी.वैशम्पायन ने व्यक्त किये। कुलपति प्रो.वैशम्पायन आज बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के स्ट्राइड (स्कीम फॉर ट्रांसडिसिप्लिनरी रिसर्च फॉर इंडिआस डेवलपिंग इकॉनमी) कॉम्पोनेन्ट एक के तहत विश्वविद्यालय को प्राप्त परियोजना के अंतर्गत रिसर्च एंड पब्लिकेशन एथिक्स एवं आई.पी.आर.- पेटेंटिंग विषय पर आयोजित की जा रही सात दिवसीय ऑनलाइन फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम के समापन के अवसर पर आयेाजित कार्यक्रम में उपस्थित प्रतिभागियों को सम्बोधित कर रहे थे।
पेडागोजी और एन्ड्रागोजी विषयक व्याख्यान देते हुए कुलपति द्वारा छोटे बच्चो एवं वयस्क बच्चों को पढ़ाने के लिए एक शिक्षक के अंदर लाये जाने वाले बदलावों को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा स्तर एक कार्यरत अध्यापकों का आव्हान किया कि वे स्वयं को सदैव शिक्षक की भूमिका मे न देखकर एक लर्नर या जिज्ञासु के रूप में रहें ताकि कभी कभी कुछ विशेष ज्ञान हमारे छात्रो से भी प्राप्त हो सकता है। कुलपति ने कहा कि जहां प्राइमरी स्तर पर छात्र शिक्षक की सभी बातें आत्मसात कर लेता है वही उच्च शिक्षा में अध्ययनरत छात्र अपने अर्जित ज्ञान के आधार पर तर्क करते है। अतः शिक्षकों को भी समयानुसार अपने अंदर बदलाव लाने की आवश्यकता है, जहाँ हम छात्र के अर्जित किये गए ज्ञान को तवज्जो देते हुए अपनी बात समझाएं। अपने व्याख्यान के उपरांत कुलपति जी द्वारा समस्त प्रतिभागियों से फीडबैक भी लिए, जिसमे प्रतिभागियों द्वारा स्ट्राइड परियोजना के अंतर्गत कराये गए इस कार्यक्रम की खूब सराहना की, साथ ही ऐसी आगे भी फैकल्टी डेवेलपमेण्ट कार्यक्रम करवाने का आग्रह किया।
समापन सत्र में परियोजना के संयोजक प्रो. एम.एम. सिंह द्वारा सभी प्रतिभागियों का धन्यवाद ज्ञापित करते हुए बताया कि 24 से 30 सितम्बर तक चलने वाले सात दिवसीय कार्यक्रम में प्रतिभागियों को गुड लेबोरेटरी प्रैक्टिसेज तथा प्रोजेक्ट राइटिंग, शोध एवं प्रकाशन सम्बंधित एथिक्स, प्रकाशन टूल्स, शोध परियोजना, शोध पत्र लिखने के तरीकों, इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स तथा पेटेंटिंग प्रक्रिया के बारे मे जानकारी दी गई। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. अविनाश चंद्र पाण्डेय, लखनऊ विश्वविद्यालय के पूर्व प्रति कुलपति प्रो.यू.एन.द्विवेदी, राष्ट्रीय तकनीकी संस्थान, वारंगल के प्रो. डी. हरनाथ, देवी अहिल्या विश्वविद्यालय इंदौर के प्रो. आनंद कर, बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय के डॉ. विनीत कुमार तथा बुन्देलखण्ड विष्वविद्यालय के डॉ. रामबीर सिंह द्वारा विभिन्न विषयों पर सारगर्भित व्याख्यान दिए गए। परियोजना के समन्वयक डॉ. लवकुश द्विवेदी ने जानकरी दी कि उक्त फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम में बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय, झांसी, सी.एस.जे.एम. कानपुर विश्वविद्यालय, एमिटी यूनिवर्सिटी, जयपुर, लखनऊ, हरियाणा, सतना, जबलपुर, इंदौर गाजियाबाद, गुडगाँव सहित देश के विभिन्न संस्थानों से कुल 50 शिक्षकों ने प्रतिभाग किया। डा.द्विवेदी ने कहा कि मानव संसाधन एवं कौशल विकास के उद्देश्य के साथ शुरू किये गए इस त्रिवर्षीय परियोजना में लगभग 200 शिक्षकों, विद्यार्थियों, तथा शोधार्थियों को चार चरणों में प्रशिक्षण के माध्यम से, उत्तम शोध कार्य हेतु सक्षम बनाने का प्रयास किया जायेगा। इस अवसर पर डॉ. राहुल शुक्ला, डॉ. मुकुल पस्तोर, डॉ. दिलीप शर्मा, डॉ. शिवशंकर यादव, कमलेश यादव, धीरेन्द्र सिंह तथा रोहित पियरडन उपस्थित रहे।

LEAVE A REPLY