कला संस्कृति को जोड़ने में होती है सहायक : सदाशिव परब

सप्तवर्ण राष्ट्रीय कला प्रदर्शनी का हुआ भव्य उद्घाटन ****************उज्ज्वल कला दीर्घा में प्रदर्शित हुई 30 से अधिक कलाकारों की कृतियां

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झांसी। कला सोपान और सृजन दी ड्राइंग एंड पेंटिंग क्लब बुंदेलखंड विश्वविद्यालय झांसी के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित राष्ट्रीय कला प्रदर्शनी सप्तवर्ण दी एसेंस ऑफ लाइफ का उद्घाटन उज्ज्वल कला दीर्घा में हुआ। इस कला प्रदर्शनी में देश के 30 से अधिक प्रतिष्ठित कलाकार सहभागिता कर रहे हैं।
कला प्रदर्शनी के मुख्य अतिथि प्रसिद्ध चित्रकार एवं कला समीक्षक सदाशिव परब ने कहा कि कला संस्कृति को जोड़ने में सहायक होती है। बुंदेलखंड का क्षेत्र अपनी लोक कलाओं के लिए विश्व विख्यात है। बुंदेली लोक कला में जीवन के सभी पक्ष और समाज को प्रदर्शित किया गया है। गोवा में आयोजित इस राष्ट्रीय कला प्रदर्शनी के द्वारा सहभागिता कर रहे कलाकारों को यहां की कला और संस्कृति को जानने का अवसर मिलेगा और साथ ही यहां पर लोग बुंदेलखंड क्षेत्र की कला और संस्कृति से परिचित हो सकेंगे।

उद्घाटन सत्र के विशिष्ठ अतिथि संगीत एवं कला शिक्षक नितिन कोरगांवकर ने कहा कि चित्रों की अपनी भाषा और भाव भंगिमा होती है। एक पेंटिंग अपने समय काल और परिस्थिति को बहुत ही अच्छे से व्यक्त करने में सक्षम होती है।
चित्रकार संजय हलमारकर ने प्रतिभागियों को बधाई देते हुए कहा कि कला इतिहास रचने का कार्य करती है। उन्होंने कहा कि आज जो भी हम दुनिया को समझते हैं और उसके विकास को देखते हैं उसमें कला का महत्वपूर्ण योगदान है। आज बनाई गई कलाकृतियां भविष्य में जानकारी का उत्तम श्रोत के रूप में होंगी। कला प्रदर्शनी की संयोजक डॉ. श्वेता पांडेय ने बताया कि इस राष्ट्रीय कला प्रदर्शनी का उद्देश्य बुंदेलखंड की लोककला से लोगों को परिचित कराना है। उन्होंने कहा कि इसके लिए एक अलग से बुंदेली फलक के नाम से दीवाल बनाई गई है जिस पर बुंदेली लोक चित्रकला चितेरी शैली में निर्मित चित्रों को प्रदर्शित किया गया है। कला प्रदर्शनी के उद्घाटन सत्र का संचालन प्रदर्शनी के सह संयोजक डॉ. उमेश कुमार ने किया और आभार शोधार्थी बृजेश पाल ने व्यक्त किया। इस अवसर पर सुदेव पडनेकर रेखा आर्य, पार्थ, नंदनी कुशवाहा, मेघा कुशवाहा, सुमित झा, निकेता, सपना एवं अन्य उपस्थित रहे।

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