झांसी। 19 सितम्बर मंगलवार को गणेश चतुर्थी के दिन से गणपति बप्पा के नाम से घर घर गुंजायमान होगा। बड़े पण्डाल के अलावा गणपति भगवान को लोग घर-घर में स्थापित कर पूजते हैं। 18 सितम्बर को हरितालिका तीज की पूजा के बाद गजानन का दस दिवसीय पूजन प्रारम्भ हो जाएगा।
ऑनलाइन का असर : भगवान गणेश से जुड़ी आस्था पर भी भारी पड़ रही दुकानदारों की मजबूरी
आस्था पर हमेशा महंगाई भारी हुआ करती थी, जिसके चलते भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित करने में लोग जैसे तैसे व्यवस्था कर ही लेते थे। पर इस बार लोगों की आस्था सहित तमाम अन्य चीजों पर ऑनलाइन खरीदारी भारी पड़ रही है। इसके कारण जहां भगवान गणेश की स्थापना धूमधाम से होती थी। वहां मोलभाव और ऑलाइन खरीदारी बाजार के दुकानदारों की मजबूरी एक बड़ा कारण बन रही है। वहीं मूर्तिकार 20 से 25 मूर्ति आराम से स्थापित करवा देते थे, आज वह आस्था से जुड़ी समितियों के मोलभाव से परेशन हो चुके हैं। ऑनलाइन में उल्टा सीधा और बेकार माल भी लोग बिना मोलभाव के खरीद लेते हैं, वही आज दुकानों ही नहीं भगवान गणेश प्रतिमा लेने में भी मोलभाव कर रहे हैं।
खाती बाबा स्थित दुकानदार गुल्लू का कहना है कि पहले तो यह हाल था कि भगवान गणेश की स्थापना के लिए 100 से लेकर 501 तक के चंदे को देने के लिए दुकानदार आराम से तैयार हो जाते थे और जोर देने पर वह एक हजार से अधिक चंदा देने को तैयार हो जाते थे। पर अब दुकानदारों को दुकान का किराया ही देना मुश्किल हो रहा है। ऐसे में उनकी आस्था अपने परिवार और कारोबार पर अधिक है। वहीं दूसरे सीपरी बाजार स्थित दुकानदार मनोज सिंह का कहना है कि उनका कपड़े और रेडीमेड का काम है, पर कई कई दिन निकलने के बाद भी बिक्री तो छोड़ो बोनी तक को तरस जाते हैं। ऐसा ही हाल कई अन्य दुकानदारों का भी है। ऐसे में चंदा दें या परिवार की जिम्मेदारी निभाएं। वहीं एक दुकानदार मनीष बताते हैं कि बच्चों की फीस ज्यादा जरुरी है और परिवार का खर्च भी, जिसके पूरा न होने पर उनकी आर्थिक स्थिति वैसे ही खराब है। ऐसे में गणेश स्थापना का चंदा देने की स्थिति में वह बिलकुल नहीं हैं। वहीं गणेश स्थापना समिति के अध्यक्ष महेश चंद का कहना है कि पहले तो चंदा पूरा मिलता था और इसके लिए सबसे अधिक सहयोग बाजार के दुकानदारों से ही मिलता था। इन दिनों बाजार के दुकानदारों की खुद की स्थिति खराब है, जिसके चलते गणेश स्थापना मुश्किल हो रही है।
15000 खर्चा और 6000 में मांग रहे मूर्ति
इसाई टोला स्थित मूर्तिकार मनोज माहौर का कहना है कि अब मूर्ति निर्माण के काम में उनका मन नहीं लग रहा है और वह अब कुछ और सोच रहे हैं। मूर्ति निर्माण में बांस, बल्ली, घास और मिट्टी आदि के अलावा लेबर व पेण्ट आदि का काफी खर्च होता है और ऐसे में कुछ कमाएं नहीं तो फिर घर परिवार और अन्य जिम्मेदारियों को कैसे पूरा करेंगे। उनका कहना है कि खर्च के अलावा आस्था के नाम पर वह कुछ रियायत दे भी देते थे, पर अब तो भक्त और गणेश स्थापना समिति अलग ही डिमाण्ड कर रही हैं। 15 हजार की डिमाण्ड पर वह आधे से भी कम देकर मोलभाव करने लग रहेे हैं। हमेशा 20 से अधिक मूर्तियों की स्थापना उनके माध्यम से होती थी, पर इस बार मात्र 7 से 8 बुकिंग हुई हैं। अगर अंतिम दिन तक में कुछ हो जाए तो ठीक नहीं तो कोई बात नहीं।
आकर्षक सजाई है भिण्ड की मूर्ति
गणेश पण्डाल भिण्ड की मूर्ति को विशेष डिजायन देकर तैयार किया गया है। वहीं सीपरी बाजार की प्रेमगंज की मूर्ति भी काफी सुंदर बनाई गई है। हालांकि अन्य मूर्तियां भी किसी से कम नहीं हैं।