चतुर्थ सोपान -2018 में सराहा गया विवि का प्रदर्शन

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झांसी। कला में समस्त राष्‍ट्र के निवासियों को एकजुट करने की क्षमता होती है। किसी भी देश के विकास में कला का महत्वपूर्ण योगदान होता है। कला देश की साझा विरासत, दृष्टिकोण, मूल्य एवं प्रथा का प्रदर्शन करती है। यह विचार भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने व्यक्त किये।

श्री कुशवाहा कला सोपान समूह के तत्‍वावधान में दिल्‍ली के आर्टिजन आर्ट गैलरी में आयोजित बुन्देलखण्ड विश्‍वविद्यालय परिसर में संचालित ललित कला संस्थान के शिक्षकों द्वारा प्रदर्शित राष्ट्रीय कला प्रदर्शनी ‘चतुर्थ सोपान-2018’ के उद्घाटन समारोह की अध्यक्षता करते हुए अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। उन्हाेेंने कहा कि भारत अपनी विभिन्न संस्कृतियों के कारण विविधताओं का देश माना जाता है। भारत में नृत्य, गीत-संगीत, नाटक-कला, लोक परंपराओं, कला-प्रदर्शन, धार्मिक-संस्कारों एवं अनुष्ठानों, चित्रकारी एवं लेखन के क्षेत्रों में एक बहुत बड़ा संग्रह मौजूद है, जो मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत है। श्री कुशवाहा ने कहा कि कला ओर संस्कृति के संरक्षण के लिए संस्कृति मंत्रालय द्वारा विभिन्न योजनाओं एवं कार्यक्रमों को कार्यान्वित किया है, जिनका उद्देश्य कला-प्रदर्शन, दर्शन एवं साहित्य के क्षेत्र में सक्रिय व्यक्तियों, समूहों एवं सांस्कृतिक संस्थानों को वित्तीय सहायता प्रदान करना है। उन्होंने कलाकारों से आग्रह किया कि वे इन योजनाओं का लाभ उठा सकते हैं।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कला इतिहासकार डा. नर्मदा प्रसाद उपाध्याय ने कहा कि कला में मानव मन में संवेदनाएँ उभारने, प्रवृत्तियों को ढालने तथा चिंतन को मोड़ने, अभिरुचि को दिशा देने की अद्भुत क्षमता है। विशिष्‍ट अतिथि राष्ट्रीय जल पुरुष राजेंद्र सिंह तथा जन जन जोड़ो अभियान के अध्यक्ष वरिष्ठ समाजसेवी संजय सिंह भी उपस्थित रहे। उद्घाटन के बाद सभी अतिथियों ने प्रदर्शनी का अवलोकन किया। डा. श्‍वेता पाण्डेय ने कला प्रदर्शनी के बारे में विस्तार से जानकारी दी। संचालन डा. अरुणकान्त पाण्डेय ने किया, जबकि अन्त में प्रदर्शनी के संयोजक डाॅॅ. दिलीप कुमार ने आभार व्यक्त किया। इस दौरान अतिथियों द्वारा एक स्मारिका/विवरणिका का भी विमोचन किया गया। राष्ट्रीय कला प्रदर्शनी में देश के विभिन्न भागों से आये 30 कलाकारों की 80 कलाकृतियों का प्रदर्शन किया गया। कार्यक्रम में भाग लेने वाले कलाकार डा.श्वेता पण्डेय, डा.अजय गुप्ता, डा. दिलीप कुमार, डा. जयराम कुटार, इंजीनियर अजय राव, डा. अरुणा झा, डा. अरुण कांत पांडे, डा. रानी शर्मा, डा. रेखा रानी शर्मा, डा. यतींद्र महोबे, अनिल कन्नौजिया, डा. रवि कान्त पाण्डेय, श्रीमती अरुण झा, खुशबू शर्मा, कीर्ति चावला, नीतिका आनन्द, शुभ्रा कनकने, पंकज भारद्वाज, लीलाधर पांडे, प्रियंका रिछारिया, प्रियंका मिश्रा, शिखा कुशवाहा, नैंसी श्रीवास्तव, रेणुका त्यागी, मुस्कान द्विवेदी, गौरव चतुर्वेदी, रुवी भारती, हेमा साहू ने अपनी कलाकृति का प्रदर्शन किया।

राष्ट्रीय कला प्रदर्शनी ‘चतुर्थ सोपान-2018’ के समापन समारोह के मुख्य अतिथि वरिष्ठ अन्तर्राष्ट्रीय कलाकार, कला चिंतक व समाजसेवी जगदीश चौधरी ने कहा कि अच्छे कलाकार के लिए एक अच्छा मानव होना पहली शर्त है। एक अच्छा मनुष्‍य ही अच्छा कलाकार हो सकता है। उन्होंने प्रतिभागी कलाकारों से आग्रह किया कि वे जीवन में धैर्य, अनुशासन, कलात्मकता एवं जिज्ञासा जैसे आदर्श गुणों को अपने अन्दर समाहित करें, तभी वे अच्छे मनुष्‍य एवं अच्छे कलाकार बन सकते हैं। उन्होंने प्रतिभागी कलाकारों की प्रदर्शित कला कृतियों की प्रशंसा की तथा कहा कि उन्हेंं अपने अन्दर अभिमान आने से रोकना है। विशिष्‍ट अतिथि ख्याति प्राप्त कलाकार, कला समीक्षक पद्मश्री ने कहा कि किसी भी कलाकार को निरन्तर अभ्यास करते रहना चाहिये। उनका मानना था कि कालजयी कलाकृतियों की मात्र कुछ दिन में रचना नही की जा सकती है। इसके लिए कलाकारों को निरन्तर अभ्यास करते रहना चाहिये। डा. श्‍वेता पाण्डेय ने जानकारी दी कि जगदीश चौधरी ने अपने विद्यालय के लिए छात्रों की 8 कलाकृतियों को खरीदा, जिससे कि छात्रों का उत्साहवर्धन हुआ तथा प्रदर्शनी का उद्देश्य पूरा हुआ ।
समापन समारोह का संचालन डा. श्‍वेता पाण्डेय ने किया तथा आमंत्रित अतिथियों का आभार डा.दिलीप कुमार ने किया। इस अवसर पर डा. अजय कुमार गुप्ता, जयराम कुटार, अजय राव, शिशुपाल सिंह, डा.रेखारानी शर्मा, श्रीमती खुशबू, नीतिका आदि उपस्थित रहे।

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