व्यापारियों की पहचान है भामाशाह

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झांसी। उत्तर प्रदेश व्यापार मंडल के तत्वावधान में रानी लक्ष्मी बाई पार्क में भामाशाह की जयंती पर एक विचार गोष्ठी व श्रद्धांजलि सभा का आयोजन उत्तर प्रदेश व्यापार मंडल के प्रदेश अध्यक्ष संजय पटवारी की अध्यक्षता में किया गया।
उत्तर प्रदेश व्यापार मंडल के पदाधिकारियों ने भामाशाह के चित्र पर माल्यार्पण व दीप प्रज्जवलित कर उनको श्रद्धांजलि दी। विचार गोष्ठी में वीडियो के चेयरमैन आनंद मिश्रा और डॉक्टर जितेंद अग्रवाल ने कहा कि हल्दीघाटी के युद्ध के बाद महाराणा प्रताप के पास युद्ध लड़ने के लिए साधन नहीं थे। सेना के पास पर्याप्त धन व भोजन की व्यवस्था भी नहीं थी। ऐसे में महाराणा प्रताप अत्यंत परेशान बहुत दुखी थे। महाराणा प्रताप को अपने राज्य को बचाने के लिए मुगल बादशाह अकबर से युद्ध लड़ना बेहद जरूरी था। वैश्य परिवार में 28 जून 1547 को जन्मे भामाशाह जो कि राज्य के प्रतिष्ठित व्यापारी थे। उन्होंने महाराणा प्रताप को अपना संपूर्ण धन व संपत्ति समर्पित कर दी। भामाशाह ने महाराणा प्रताप को युद्ध जारी रखने का आग्रह किया, तब महाराणा प्रताप ने भामाशाह की सहायता से भील सेना को बनाया और अपना युद्ध जारी रखा। तब से संपूर्ण देश में व्यापारियों को भामाशाह के नाम से सम्मानित किया जाता है। गोष्ठी में प्रो. एस आर गुप्ता, अरुण गुप्ता, संजय सर्राफ, सुनील नेनवानी, प्रभु दयाल साहू, चौधरी फिरोज, प्रदीप गुप्ता, पंकज शुक्ला, प्रदीप अग्निहोत्री, मनीष रावत, शशिकांत कारलेकर, रविश त्रिपाठी, अजीत राय आदि ने विचार व्यक्त किए। महिला व्यापार मंडल की ओर से अपर्णा दुबे, शालिनी गुरबख्शानी, शालिनी अग्रवाल, मधु कुशवाहा, कविता महेश्वरी ने भामाशाह को श्रद्धांजलि अर्पित की। गोष्ठी का संचालन महानगर अध्यक्ष संतोष साहू ने व आभार नगर महामंत्री विवेक सेठ ने व्यक्त किया।

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