अभ्‍यास का मकसद आतंकवाद का खात्‍मा करना : लेफ्टिनेण्‍ट जनरल

ऑपरेशन इंद्र-2018 में दिखा रुस और भारत का दमखम, पांच सौ जवानों के साथ गरजी बबीना रेंज

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झाँसी। भारत और रूस ने अपना दसवां संयुक्त सैन्य अ यास शुरू किया था, जिसका लक्ष्य आतंकवाद-विरोधी अभियानों पर है। दसवें संयुक्त सैन्य अ यास इन्द्र-2018 का मु य ध्यान संयुक्त राष्ट्र के जनादेश के तहत अर्ध-पहाड़ी क्षेत्रों तथा जंगल वाले क्षेत्रों में आतंकवाद-विरोधी अभियान पर रहा है। भारतीय सेना ने एक बयान में कहा, संयुक्त अभियानों में बेहतर कार्यशीलता हासिल करने के लक्ष्य से दोनों पक्षों के सैनिक ऐसे अभियानों के लिए स्वयं को विशेष रूप से तैयार किया है। इस लक्ष्य के लिये 11 दिनों का लंबा विस्तृत प्रशिक्षण कार्यक्रम तैयार किया गया था।
इंद्रा एक्सरसाइज यूएन चार्टर के तहत की जा रही है, जिसका मकसद काउंटर-टेरेरिज्म है। अभी तक भारत इस तरह के साझा काउंटर टेरेरिज्म एक्सरसाइज के लिए थलसेना का ही इस्तेमाल करता था, लेकिन अब इसमें वायुसेना और नौसेना का भी साथ लिया जा रहा है, क्योंकि आईएसआईएस जैसे आतंकी संगठनों के खिलाफ रूस और अमेरिका जैसे देश वायुसेना और नौसेना का भी इस्तेमाल कर रहा है। दोनों ही सेनाओं के आला अधिकारियों ने आतंकवाद को हराने के लिए दोनों देशों के बीच संयुक्त अ यास की जरूरतों पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि आतंकवाद किसी देश विशेष का मुद्दा नहीं रह गया है इसलिए जरूरत आन पड़ी है की मित्र देश मिलकर आतंक के खिलाफ संयुक्त अ यास करें और उसे उसका हश्र दिखाए। भारत-रूस का यह संयुक्त अ यास इस मायने में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस अभ्‍यास में लाइट मशीन गन, रॉकेट लॉन्चर, टी90-40 टैंक, भीष्म के तीन टैंक, 10 बोफोर्स तोप, हेलीकॉप्टर समेत बड़ी तादाद में सैन्य साजो-सामान का उपयोग किया गया।

उन्होंने बताया कि 11 दिवसीय प्रशिक्षण अभ्‍यास में रूस की 5वीं सेना के कंपनी के आकार का सैन्य दल और भारत की यांत्रिक पैदल सेना बटालियन हिस्सा लिया है। अधिकारी ने कहा, इस अभ्‍यास का मकसद संयुक्त राष्ट्र के संरक्षण के अंतर्गत शांति बनाए रखने और पर्यावरण को प्रवृत्त करने में दोनों सेनाओं की पारस्परिकता की संयुक्त योजना बनाना और उसे बेहतर तरीके से लागू करना है।
भारत-रूस संयुक्त युद्धाभ्‍यास इंद्र 2018 के तहत मंगलवार को रोमांचक और पराक्रम से भरपूर सैन्य अ यास हुआ। दोनों ही सेनाओं ने आतंक को मुंहतोड़ जवाब देने का अद्भुत प्रदर्शन किया। इस दौरान हेलीकॉप्टर से कमांडो का उतरना आतंकियों की घेराबंदी टैंक, रॉकेट लॉन्चर आदि से उनके ठिकाने ध्वस्त करना और उन्हें भाग खड़े होने के लिए मजबूर करना शामिल था। मैकेनाइज्ड इन्फेंट्री ने आतंकियों के कब्जे वाला इलाका पूरी तरह से खाली कर अपने कब्जे में लिया। इस अवसर पर कोर कमांडर आर पी सिंह, भारतीय सेना के जनरल ऑफिसर कमांडिंग (जीओसी) 31 आर्मर्ड डिवीजन मेजर जनरल पीएस मिन्हास और रशियन फेडरेशन के इस्टर्न मिलिट्री डिस्ट्रिक्ट के कमांडर मेजर जनरल सेकोव अलेग मुसोविच आदि अफसर मौजूद रहे है।

बबीना में भारतीय बख्‍तरबंद सैनिकों ने रूसी सैनिकों से लड़ाई के गुर सीखें

उत्तर प्रदेश के बबीना में भारतीय ब तरबंद सैनिक रूस के ब तरबंद सैनिकों के साथ लड़ाई के गुर सीखें हैं। तभी 18 से 28 नवंबर तक भारत और रूस की मैकेनाइज्ड इफेंट्री के बीच साझा सैनिक अ यास इंद्र2018 होगा। इस अ यास से दोस्ती और गहरी होने तथा सेना के बीच रणनीतिक कौशल बढऩे की उ मीद जताई गई। दावा किया गया कि इससे अन्तर्राष्ट्रीय आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई को और प्रभावशाली तरीके से लडऩे में मदद मिलेगी।

किसी को संदेश नहीं आतंकवाद से लडऩा है उद्देश्य

भारतीय सेना के कोर कमांडर आर पी सिंह ने कहा कि यह दो सेनाओं के बीच साझा सैन्य अ यास था। यह अ यास किसी देश संदेश देने के लिए नहीं है। यह वैश्विक आतंकवाद से मिलकर मुकाबला करने का परस्पर प्रशिक्षण है। दोनों देशों के बीच सेना का तालमेल अच्छा है और दोनों मिलकर युद्ध लडऩे में माहिर हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय सेना, नौसेना व नेवी समय-समय पर विभिन्न देशों के साथ युद्ध अ यास करते रहे हैं और सभी का उद्देश्य होता है आतंकवाद का खात्मा।

अन्तर्राष्ट्रीय आतंकवाद 21वीं सदी की सबसे बड़ी समस्या

रशियन फेडरेशन के इस्टर्न मिलिट्री डिस्ट्रिक्ट के कमांडर मेजर जनरल मुसोविच ने कहा कि आपस में या फिर संयुक्त राष्ट्र के नेतृत्व में होने वाले ऑपरेशन को इस प्रकार के सैन्य अ यास से मदद मिलती है। उन्होंने रूस सरकार व सेना की तरफ से भारतीय सेना व सरकार का आभार जताते हुए उ मीद जताई कि सैन्य अ यास भविष्य में ऐसे ही चलते रहेंगे। उन्होंने कहा, आज अन्तर्राष्ट्रीय आतंकवाद 21वीं सदी की सबसे बड़ी समस्या है। ऐसे अ यासों से आतंकवाद को काबू करने में मदद मिलेगी।

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