नारी को नमन : बेटों को दें संस्‍कार महिलाओं के सम्‍मान का

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झांसी। माता पिता की जिस प्रकार इच्‍छा होती है कि उनके बच्‍चे अच्‍छा काम करें और समाज व परिवार में अपना मान सम्‍मान बढ़ाएं। वहीं अंजू सोनी को माता पिता के साथ ही सास ससुर (विशेषकर ससुर) की इच्‍छा का भी सम्‍मान रखना था। ऐसे में उन्‍होंने अपने परिवार को ही नहीं सम्‍भाला, वरन लोगों की काफी गुप्‍त मदद की और उस मदद का उनको काफी अच्‍छे परिणाम भी मिले।

गरीब कन्‍याओं के विवाह से अधिक किसी गरीब बच्‍चे को शिक्षा के क्षेत्र में आर्थिक मदद करना और वह बच्‍चा उस मदद का लाभ लेकर एक अच्‍छे पद पर पहुंच जाएंं। ऐसा आमतौर पर फिल्‍मों में होता है, हकीकत में अधिकतर लोग को मदद मिलने के बाद भी उसका लाभ नहीं ले पाते हैं। पर इस फिल्‍मी कहानी को हकीकत में बदला मिर्जापुर निवासी सर्राफा व्‍यवसायी रामप्रकाश सोनी व कृष्‍णा सोनी की सुपुत्री व अपने तीन बहनों व दो भाईयों में तीसरे नम्‍बर की बहन और झांसी निवासी सुशील सोनी सर्राफा व्‍यवसायी की धर्मपत्‍नी श्रीमती अंजू सोनी ने।


श्रीमती सोनी ने बताया कि उनके पिता और उसके बाद ससुर से दूसरों की मदद करने की प्रेरणा मिली और पति व परिजनों से इसमें लगातार सहयोग मिला। उन्‍होंने बताया कि वह प्रारम्‍भ से ही अपने घर और कार्य क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारियों की मदद करती आई हैं, जिससे उनको कभी कोई दिककत नहीं हो। यही प्रथा आज भी जारी है और वह लोगों की मदद करती रहती हैं, लेकिन आमतौर पर कभी इसके बारे में जिक्र नहीं करती हैं। उन्‍होंने एमए तक पढ़ाई की है और उनके ससुर स्‍व. श्री जुगल किशोर सोनी सेण्‍ट ज्‍यूड्स स्‍कूल में शिक्षक थे। उनकी इच्‍छा थी कि मैं अपनी शिक्षा आगे जारी रखूं, लेकिन यह सम्‍भव हो नहीं हो पाया। हांं यह जरुर रहा कि वह हमेशा शिक्षा को महत्‍व देते थे और अपने वेतन से ही गरीब विद्यार्थियों की मदद करते थे। इसके लिए वह कहते थे कि एक व्‍यक्‍ति को शिक्षित करने से समाज को आगे बढ़ने में काफी बढ़ा योगदान दिया जा सकता है। इसी को आदर्श मानकर वह और उनके पति गरीब बच्‍चों की शिक्षा के क्षेत्र में मदद करते रहते हैं। इसी क्रम में एक गरीब युवक की मदद की थी, जिसमें जरुरत से ज्‍यादा हमने खर्च किया था। आज उसका परिणाम यह हुआ कि उस बच्‍चे ने मेहनत से पढ़ाई करते हुए एक मुकाम बनाया और उसने एक बड़े शहर में एक बड़ी कम्‍पनी में काफी अच्‍छे पैकेज पर जॉब हासिल की। आज उसकी मदद करने पर हमको खुद गर्व महसूस होता है।

उन्‍होंने बताया कि उनका संयुक्‍त परिवार है और आज भी सभी लोग एक ही किचिन में खाना बनाते हैं। यह सब परिवार के आपसी प्‍यार और समझ के कारण सम्‍भव हो सका है। उनके जेठ चिकित्‍सक हैं और रक्‍सा रोड पर स्‍थित उनके अस्‍पताल में उनका परिवार समय समय पर गरीब मरीजों को फल व दवाएं वितरित करता रहता है। उन्‍होंने बताया कि वर्तमान में उप्र व्‍यापार मण्‍डल की महिला शाखा की सक्रिय सदस्‍य के रुप में कार्य करती हैं। साथ ही अपने पति के सर्राफा व्‍यवसाय में भी हाथ बंटाती हैं।

उनके दो पुत्र हैंं, जिसमें भोपाल से कम्‍प्‍यूटर इंजीनियरिंग कर रहा है और दूसरा हाईस्‍कूल कर रहा हैैै। उनको समाजसेवा में हर तरह से पति बच्‍चों के अलावा पूरे परिवार का सहयोग मिलता रहता है।

महिला दिवस को लेकर उनका कहना है कि मां जो खुद एक महिला है, ऐसे में वह अपने पुत्रों को यही संस्‍कार दें कि वह महिलाओं का सम्‍मान करें, जिस प्रकार वह अपनी मां और बहन का करते हैं। इससे समाज में फैली बुराईयां काफी हद तक समाप्‍त हो जाएंगी। वहीं निर्भया जैसे काण्‍ड भी नहीं होंंगे।

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