विवि : कुलपति के संकल्‍प और निर्देशों पर भारी नकल माफिया

समय समय पर सत्‍ताधारी दलों से सम्‍ब्‍ांध होने के कारण हावी है माफिया, सीसीटीवी कैमरों काे नहीं किया जा सका है विवि से कनेक्‍ट, कई स्‍थानों पर परीक्षा शुरु होने से लेेेेकर समाप्‍त होने तक डिस्‍टर्ब हो जाती है विध्‍ुात व्‍यवस्‍था

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झांसी। तुम डाल डाल हम पात पात वाली कहावत को चरितार्थ करते हुए हमेशा की तरह इस बार फिर नकल माफिया विवि के कुलपति के नकलविहीन परीक्षा कराने के संकल्‍प और निर्देशों पर हावी होते जा रहे हैं। सत्‍ताधारी दलों के साथ सम्‍बंधों के चलते अधिकतर महाविद्यालयों के प्रबंधकों का वर्चस्‍व आज भी चरम पर है, तो कईयों के विवि के अधिकारियों व शिक्षकों के साथ काफी घनिष्‍ठ सम्‍बंध हैं। ऐसे में नकलविहीन परीक्षा कराना कुलपति का सपना ही बनता दिखाई दे रहा है, जो हकीकत से कोसों दूर है।
सबसे बड़ी बात तो यह है कि पिछले कुछ दिनों से एक नकल माफिया तो विवि में कुछ प्रभारियों को हटवाने के लिए हथकण्‍डे आजमाने मेें लगा हुआ है और आए दिन कुछ विशेष लोगों के साथ देखा जा रहा है। झांंसी महानगर के लगभग आधे दर्जन महाविद्यालय ऐसे है, जिनमें ही नकल रोकने के तमाम प्रयास विफल हो रहे हैं। ऐसे में जालौन, हमीरपुर और बांदा की तरफ के महाविद्यालयों में नकल रोकना तो काफी टेड़ी खीर है। विगत कई वर्षों से विश्‍वविद्यालय प्रशासन नकल रोकने को सीसीटीवी कैमरे लगाकर खुद को धन्‍य समझते हुुुए एक बड़़ा कदम मान रहा है, लेकिन नकल माफिया यहां भी 20 ही साबित हो रहे हैं। विवि में एक ही कण्‍ट्रोल रुम में 200 से अधिक महाविद्यालयों व प्रत्‍येक कमरों पर नजर रख्‍ाना वैसे भ्‍ााी सम्‍भव नहीं है। उस पर अधिकतर महाविद्यालयों के सीसीटीवी कैमरे अभी तक विवि के कण्‍ट्रोल रुम से कनेक्‍ट ही नहीं हैं, या फिर परीक्षा शुरु होने से पहले उनके क्षेत्रों की विधुुुत व्‍यवस्‍था ही ठप्‍प हो जाती है। कई महाविद्यालयों में बोल बोलकर नकल भी कराई जा रही है और तो और उड़ाका दल के आने से पहले ही विद्यार्थियों की नकल कक्ष निरीक्षक ले लेते हैं। ऐसे में विवि कितना भी सख्‍त हाे जाए, नकलविहीन परीक्षा कराना सम्‍भव नहीं है। यह नकल माफिया विशेष तौर पर परीक्षा पास कराने के लिए परीक्षार्थियों से एक मुश्‍त रकम लेेेेते हैं।

हिन्‍दी माध्‍यम के परीक्षार्थी अंग्रेेेेजी में लिख रहे थे पेपर

विगत दिवस जालौन के एक महाविद्यालय में उड़ाका दल के सामने एक अलग ही मामला आया। उड़ाका दल को देखते ही अधिकतर परीक्षार्थी शांत बैठ गए, देखा गया तो कापी में अंग्रेजी में प्रश्‍नों के उत्‍तर लिखे जा रहे थे। जब परीक्षार्थियों से उत्‍तर पढ़ने को कहा गया, तो वह पढ़ ही नहीं पाए। ऐसे में सामूहिक नकल में उक्‍त बुक करने के साथ परीक्षा निरस्‍त करने की संस्‍तुति की गई।

इण्‍टरनेट के प्रिण्‍ट से की जा रही थी नकल

ऐसे ही पिछले दिनों कुछ महाविद्यालय में एमएससी की सेमेस्‍टर परीक्षाओं में इण्‍टरनेट से प्रिण्‍ट निकाल कर नकल करवाए जाने की शिकायत विवि प्रशासन से अलग अलग शिक्षकों द्वारा की गई है, जिसको लेकर उन परीक्षार्थियों की परीक्षा निरस्‍त कराने के साथ ही दोबारा परीक्षाएं कराने की संस्‍तुति की गई है।

कई उड़ाका दल प्रभारी सालों से हो रहे मैनेज

विवि प्रशासन के पास कुछ वरिष्‍ठ शिक्षकों के साथ ही कुछ अन्‍य शिक्षक उड़ाका दल के लिए निर्धारित हैं, जोकि इन नकल माफियाओं द्वारा मैनेज किए जाते रहे है। वह शिक्षक यदि उन स्‍थानों पर जांच के लिए न भी जाएं, तो यह वहां जाने वाले दलों को भी मैनेज करने में सहयोग करते हैं।

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