स्वयंसेवक सिखानेे नहीं, बल्कि सीखने के लिए जाएं- डाॅ. एसएन सुब्बाराव

मनुष्यता के गुण विकसित करने का नाम ही सामाजिक सेवा- हरगोविन्द कुशवाहा दूसरों के कल्याण के लिए कार्य करने में है, आत्मिक सन्तोष - प्रो. तात्याना ओरन्सिकाया

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झांसी। ‘‘स्वयंसेवक एन.एस.एस. शिविरों के माध्यम से गाँव में सिखानेे के लिए नहीं, बल्कि सीखने के लिए जायें। सामाजिक कार्यों के द्वारा स्वयंसेवक देश का विकास करें। प्रत्येक युवा को चाहिए कि वह एक घण्टा देश को और एक घण्टा देह को दे।’’
उपरोक्त विचार अन्तर्राष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त गाँधीवादी विचारक व राष्ट्रीय सेवा योजना के संस्थापक सदस्य डाॅ. एस.एन. सुब्बाराव ने व्यक्त किये। डाॅ. एस.एन. सुब्बाराव आज विश्व सामाजिक न्याय दिवस के अवसर पर बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय, झाँसी की राष्ट्रीय सेवा योजना की इकाई द्वितीय, तृतीय एवं पंचम द्वारा पूर्व माध्यमिक विद्यालय, दिगारा में आयोजित संयुक्त विषेष शिविर का उद्घाटन करते हुए शिविराथयों को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि विकास बुलडोजर के माध्यम से नहीं, बल्कि मनुष्यों को बदलने की प्रक्रिया द्वारा होता है। एनएसएस की कल्पना है कि युवा आदर्श नागरिक बनें। भारत जैसे देश में करोडों नागरिक हैं, किन्तु आदर्श नागरिकों की संख्या कम है। स्वयंसेवक शिविरों के माध्यम से आमजन को आदर्श नागरिक बना सकते हैं।
भाई जी के नाम से सुविख्यात पद्मश्री डाॅ. सुब्बाराव ने कहा कि आधुनिक युग में गुरुकुल पद्धति की कमी को दूर करने का नाम राष्ट्रीय सेवा योजना है, इसके माध्यम से स्वयंसेवक स्वअनुशासन सीखते हैं और बगैर अनुशासन व नियम के व्यक्ति महान नहीं बनता।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि उ.प्र. सरकार के राज्यमंत्री हरगोविन्द कुशवाहा ने कहा कि मनुष्य सृष्टि का सिरमौर है। मनुष्यों में मनुष्यता के गुण विकसित करने का नाम ही सामाजिक सेवा है। हम धन, वैभव होने से अमीर नहीं होते, बल्कि श्रम, ईमानदारी, त्याग आदि के गुणों को विकसित कर हम अमीर हो सकते हैं। अन्तर्राष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान के उपाध्यक्ष हरगोविन्द कुशवाहा ने कहा कि मां, बाप, गुरु से बढकर कोई देवता नहीं होता, स्वयंसेवकों को देशभक्ति और चरित्र हमेशा बनाये रखना चाहिऐ।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए राष्ट्रीय सेवा योजना के कार्यक्रम समन्वयक डाॅ. मुन्ना तिवारी ने कहा कि राष्ट्रीय सेवा योजना देश का सबसे बडा युवा संगठन है, जो न केवल नगरों में, बल्कि गाँवों के विकास में सत्त प्रयत्नशील हैं। उन्होनें स्वयंसेवकों का आव्हान किया कि वे उत्साहपूर्वक ग्रामीण समुदाय के विकास हेतु सत्यनिष्ठा से कार्य करें।

उद्घाटन सत्र को विशिष्ट अतिथि के रुप में सम्बोधित करते हुए एन.वाई.पी. के कोषाध्यक्ष डाॅ. आर. सी. गुप्ता ने डाॅ. एस. एन. सुब्बाराव के जीवन पर प्रकाश डालते हुए उन्हें आधुनिक युग का गांधी कहा। उन्होनें कहा कि जिन्होनें गांधी जी को नहीं देखा, वे डा.सुब्बाराव जी के व्यक्तित्व और कृतित्व के माध्यम से गाँधी जी का दर्शन कर सकते हैं।
विशेष शिविर के बौद्धिक सत्र को सम्बोधित करते हुए हैम्बर्ग विश्वविद्यालय, जर्मनी की प्रोफेसर तात्याना ओरन्सिकाया ने कहा कि शिविरों के माध्यम से युवा सामाजिकता के गुणों को सीखते हैं, जो हमें अच्छा नागरिक बनाने में मद्द करती हैं। दूसरों के कल्याण के लिए कार्य करने में ही हमें आत्मिक सन्तोष का अनुभव होता है। उन्होनंें स्वयंसेवकों का आव्हान किया कि ज्ञानार्जन हेतु वे विश्वभ्रमण करें व अन्य भाषाओं का भी अध्ययन करें।
कार्यक्रम में उपस्थित वरिष्ठ टेलीविजन पत्रकार मयूरी डोंगरें (मुम्बई) ने कहा कि शिविर के माध्यम से सीखे गये अनुभव स्वयंसेवकों के व्यक्तित्व का न केवल निर्माण करते हैं, बल्कि उन्हें आगे ले जाने का भी कार्य करते हैं।
शिविर का संचालन कार्यक्रम अधिकारी डाॅ. मुहम्मद नईम ने, स्वागत डाॅ. फुरकान मलिक व आभार डाॅ. श्वेता पाण्डेय ने व्यक्त किया। इस अवसर पर सेवानिवृत्त मेजर एस. एन. गौर, डाॅ. अजय कुमार गुप्ता, कमलेश राय, शेख अरशद, शौकत अली, मीनाक्षी सोनी, डाॅ. सरिता तिवारी, श्रीमती मधु, संजय दुबे, शिवम् कुमार, अंशुल नामदेव, आदि उपस्थित थे।
कार्यक्रम का प्रारम्भ एनएसएस के लक्ष्य गीत ‘‘उठें समाज के लिए, उठें, उठें’’ व ध्येय गीत ‘‘हम होगें कामयाब’’ से हुआ। इस अवसर पर डाॅ. सुब्बाराव जी ने ‘‘एक दुलारा, देश हमारा, प्यारा हिन्दुस्तान’’ प्रस्तुत कर सभी का मन मोह लिया। प्रथम दिवस स्वयंसेवकों ने अधिग्रहीत ग्राम सिमलिया, कोछाभांवर व दिगारा का भ्रमण कर क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति की जानकारी ली।

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