नागरिकता संशोधन विधेयक केंद्र सरकार का दमदार एवं सामयिक निर्णय: डा.मिश्रा

सरकार के अनुसार किसी को घबराने की जरूरत नहीं. पत्रकारिता संस्थान में विशेष परिचर्चा आयोजित

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झांसी। बुंदेलखंड विश्वविद्यालय परिसर के जनसंचार एवं पत्रकारिता संस्थान में शनिवार को नागरिकता संशोधन विधेयक पर विशेष परिचर्चा आयोजित की गई। इसमें नागरिकता संशोधन विधेयक को केंद्र सरकार का ऐतिहासिक और दमदार निर्णय करार दिया गया। इसके विविध पहलुओं पर चर्चा के दौरान वक्ताओं ने कहा कि केंद्र सरकार के इस फैसले से वर्षों से शरणार्थी का जीवन जी रहे लाखों लोगों को भारत की नागरिकता मिल सकेगी। किसी को घबराने की जरूरत नहीं है।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि और बी.जे.आर.विधि संस्थान के डा.प्रशांत मिश्र ने भारतीय संविधान में उल्लिखित नागरिकता के विधानों की जानकारी दी। उन्होनें कहा कि नागरिकता संशोधन बिल के विरोध की वजह यह है कि इस बिल के प्रावधान के मुताबिक पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आने वाले मुसलमानों को भारत की नागरिकता नहीं दी जाएगी। कांग्रेस समेत कई पार्टियां वोट बैंक की राजनीति को देखते हुए इस बिल का विरोध कर रही हैं। उन्होंने इस बिल को केंद्र सरकार का दमदार निर्णय बताया। डा.मिश्र ने अनुच्छेद 14 और अन्य प्रावधानों के बारे में भी जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि नागरिकता संशोधन विधेयक में अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से धार्मिक प्रताड़ना के कारण भारत आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के लोगों को भारतीय नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान है। इसमें ऐसे अवैध प्रवासियों को जिन्होंने 31 दिसंबर 2014 की निर्णायक तारीख तक भारत में प्रवेश कर लिया है, वे भारतीय नागरिकता के लिए सरकार के पास आवेदन कर सकेंगे।
संस्थान के समन्वयक डा.कौशल.त्रिपाठी ने उन कारणों का जिक्र किया जिनके चलते देश के पूर्वोत्तर राज्यों में इस विधेयक का विरोध किया जा रहा है। पूर्वोत्तर के लोगों को चिंता है कि पिछले कुछ दशकों में बांग्लादेश से बड़ी तादाद में आए हिन्दुओं को नागरिकता प्रदान की जा सकती है। ऐसे में उनके भौगौलिक और राजनीतिक समीकरण प्रभावित हो सकते हैं। इसी आशंका के चलते वे विरोध कर रहे हैं।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए पत्रकारिता संस्थान के शिक्षक उमेश शुक्ल ने कहा कि गृह मंत्री अमित शाह ने संसद के दोनों सदनों में विपक्ष की चिंताओं का जवाब दे दिया। लेकिन इसके बाद भी इस बिल पर राजनीतिक पैंतरेबाजी जारी है। गृहमंत्री ने संसद के दोनों सदनों में साफ कहा है कि भारत के मुसलमान भारतीय नागरिक थे, हैं और बने रहेंगे। शाह ने इस बिल को लाने के कारणों का भी उल्लेख किया है। उन्होने यह भी बताया कि पाकिस्तान. बांग्लादेश और अफगानिस्तान तीनों देशों में अल्पसंख्यकों की आबादी में खासी कमी आयी है। इस विधेयक में उत्पीड़न का शिकार हुए अल्पसंख्यकों को नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान है। किसी का नागरिकता छीनने का नहीं। ऐसे में हमें सरकार की बातों से आश्वस्त होना चाहिए। किसी को चिंता नहीं करनी चाहिए। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया है कि संसद को इस प्रकार का कानून बनाने का अधिकार देश के संविधान में दिया गया है। शुक्ल ने यह भी उम्मीद जताई कि यह प्रस्तावित कानून न्यायालय में न्यायिक समीक्षा में सही ठहराया जाएगा।
विभाग के पूर्व प्रमुख डा. सीपी पैन्यूली ने कहा कि देश के किसी भी धर्म एंव सम्प्रदाय के लोगों को चिंता करने की कोई आवश्यकता नहीं है। देष के गृह मंत्री आश्वस्त कर चुके हैं कि जो भी भारत के नागरिक हैं और वे बने रहेंगे।
इस अवसर पर वक्ताओं ने कहा कि अभी तक भारतीय नागरिकता लेने के लिए 11 साल भारत में रहना अनिवार्य था। नए बिल में प्रावधान है कि पड़ोसी देशों के अल्पसंख्यक अगर पांच साल भी भारत में रहे हों तो उन्हें नागरिकता दी जा सकती है। यह भी व्यवस्था की गयी है कि उनके विस्थापन या देश में अवैध निवास को लेकर उन पर पहले से चल रही कोई भी कानूनी कार्रवाई स्थायी नागरिकता के लिए उनकी पात्रता को प्रभावित नहीं करेगी। ओसीआई कार्डधारक यदि शर्तों का उल्लंघन करते हैं तो उनका कार्ड रद्द करने का अधिकार केंद्र को मिलेगा, पर उन्हें सुना भी जाएगा।
अंत में राघवेंद्र दीक्षित ने सभी के प्रति आभार जताया। इस कार्यक्रम में जय सिंह.अभिषेक कुमार. सतीश साहनी. डा. उमेश कुमार उपस्थित रहे।

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