विवि: वाह रे प्रशासन किसी को दूध मलाई तो किसी को आधी रोटी भी नहीं

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झांसी। बुन्‍देलखण्‍ड विश्‍वविद्यालय के प्रशासनिक अधिकारी एक ओर कोरोना के संक्रमण को लेकर बहुत जागरुक हैं और तमाम वीडियो और समाचार जारी कर लोगों में अपनी प्रतिष्‍ठा बना रहे हैं, लेकिन इन सहायक शिक्षकों के साथ अत्‍याचार क्‍यों किया जा रहा है। 7590 रुपए पाकर वह अपना घर कैसे चलाएंगे। यह विवि प्रशासन नहीं सोच पाया। एक ओर प्रधानमंत्री और उप्र के मुख्‍यमंत्री प्राईवेट कर्मचारियों तक का वेतन न काटे जाने का आह्वान संस्‍थानों के प्रमुखों से कर रहे हैं। उसके बावजूद विवि प्रशासन का यह दोहरा मापदण्‍ड क्‍यों।
बता दें कि बुन्‍देलखण्‍ड विश्वविद्यालय में लगभग दो सौ सहायक शिक्षक हैं और यह दो वर्ग में हैं। एक वर्ग को 550 रुपये प्रति घंटा के हिसाब से हर माह अधिकतम 28600 रुपये तथा दूसरे वर्ग को हर माह 330 रुपये प्रति घंटे के हिसाब से हर माह अधिकतम 26400 रुपये प्रति माह का भुगतान मिलता है। एक पीरियड 40 मिनट का होता है। एक वर्ग अधिकतम 52 तथा दूसरा अधिकतम 80 पीरियड पढ़ा सकता है। शिक्षण कार्य मेें पहले वर्ग को अधिकतम 52×550=28600 और दूसरे वर्ग को 80×330=26400 रुपये प्रति माह भुगतान मिलता है। अब ऐसे में सहायक शिक्षक वर्ग के सामने एक बड़ी समस्‍या आन खड़ी है। हालांकि इस मामले में शिक्षक खुलकर बोलने के लिए सामने नहीं आ रहे हैं।
इस बार लाकडाउन के कारण कक्षाएं कम चलीं। ऐसे में पहले वर्ग के टीए को 12650 तथा दूसरे वर्ग को 7590 रुपये का ही भुगतान किया गया। इसका निर्धारण प्रशासन ने मनमाने ढंग से किया है। उसने दोनों वर्गों के टीए को केवल 23 पीरिएड का भुगतान किया है। हकीकत में शिक्षकों ने कहीं इससे ज्यादा कक्षाएं ली हैं। किसी की तीस हैं तो किसी की 38 हैं। वहीं दूसरी बात यह कि जब अन्‍य शिक्षकों को बिना कक्षा के पूरा वेतन दिया गया तो इनके साथ भेदभाव क्यों? कक्षाएं चलें या न चलें किसी भी शिक्षक को उसका मासिक खर्च जैसे मकान किराया, बिजली बिल तो माफ होने से रहा। उसका भुगतान तो उन्हें करना ही है। ऐसे में वह इन बिलों का भुगतान करेगा या फिर अपना परिवार चलाएगा। यह उसके सामने एक बड़ी समस्‍या बनकर खड़ी हो गई है। इस मनमाने निर्धारण से शिक्षक सकते में हैं। वे विश्वविद्यालय खुलते ही कुलपति से मिलकर अपनी समस्या उनके सम्मुख उठाएंगे। इसको देखते हुए शिक्षकों के सामने एक और आशंका बन गई है कि अप्रैल में वेतन का निर्धारण कैसे होगा। वे इस बात को लेकर भी उलझन में हैं।

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