दिहाड़ी मजदूर लगभग सात लाख लाभार्थी मात्र 23 हजार ही : भानू सहाय

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झांसी। कांग्रेसी नेता और बुन्देलखंड निर्माण मोर्चा के अध्यक्ष भानू सहाय ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री जी को पत्र मेल कर आग्रह किया कि केंद्र सरकार ने वर्ष 2008 में देश के 41 करोड़ असंगठित श्रमिको के लाभार्थ असंगठित लेबर सिक्योरिटी एक्ट 2008 बनाया था। इसके 12 साल गुजर जाने के बाद भी उत्तर प्रदेश सरकार ने इस एक्ट को लागू नही किया गया है। 2008 में बने एक्ट को लागू किये जाने के लिए नियमावली समाजवादी सरकार ने 2016 में बनवाई जाना प्रारम्भ की थी, जो वर्ष 2020 में अभी तक नही बन पाई है। उनका कहना है कि कई बार बुन्देलखंड निर्माण मोर्चा ने मुख्‍यमंत्री को ज्ञापन भी दिए, लेकिन सरकारों का असंगठित श्रमिको के प्रति नज़रिया साफ नहीं है।
उनका कहना है कि अगर उत्तर प्रदेश सरकार ने 2008 के एक्ट को लागू कर दिया होता, तो उत्तर प्रदेश के लगभग 8 करोड़ असंगठित श्रमिक जिसमे हॉकर, कुली, बीड़ी श्रीमिक, ठेले वाले, घरेलू कर्मकार, फुटपाथ व्यापारी, गेरेज कर्मकार, टैक्सी वा ऑटो चालक, किसान मजदूर, दुकानों पर काम करने वाले, धोबी, माली, दर्जी, मोची, सब्जी वाले, चाय वा चाट ठेला वाले, बुनकर आदि 47 वर्ग के श्रमिक शामिल है लाभान्वित होने लगते एवं कोरोना वायरस के कारण किये गए लॉक डाउन के चलते फाके को मजबूर नही हुए होते और कर्जदार नही बनते। भानूू सहाय बताते हैं कि जिस- जिस प्रदेश में यह एक्ट लागू है, उन सभी प्रदेशो में असंगठित श्रमिको को उनके खातों मे रुपए एवं राशन फ्री मिल रहा है। आनन फानन में असंगठित श्रमिको का व्हाट्स ऐप के जरिये किया जाने वाला पंजीकरण ऊंट के मूंंह में जीरा साबित हो रहा है। उत्तर प्रदेश के बुन्देलखंड क्षेत्र में लगभग 60 से 70 लाख के ऊपर असंगठित श्रमिक है, जो बदहाली के कगार पर खड़ा है। झांसी जनपद में ही लगभग 7 लाख असंगठित श्रमिक है, जिसमे मात्र 23000 श्रमिको के खातों में 1000 रुपए डालकर आंख में धूल नही झोंकी जा सकती। पत्र में आग्रह किया गया कि शीघ्र उत्तर प्रदेश में असंगठित श्रमिक सिक्युरिटी एक्ट 2008 लागू किया जाए अन्यथा लॉक डाउन खत्म होने के बाद बुन्देलखंड निर्माण मोर्चा द्वारा उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर कर उत्तर प्रदेश के 47 वर्ग के लगभग 8 करोड़ असंगठित श्रमिको को न्याय दिलवाने का कार्य किया जाएगा। साथ ही यह भी प्रयास किये जाएंगे कि 12 सालों तक एक्ट को क्यो लागू नही किया गया इसकी जांच हो सके।

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