अंग्रेजों की ‘म्‍यूटिनी ऑफ 1857’ के साक्षी झोकन बाग मेमोरियल के बहुरेंगे दिन

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झांसी। पंडित दीनदयाल उपाध्याय सभागार में 15 अगस्त 2020 को होने वाले स्वतंत्रता दिवस के कार्यक्रम सम्‍बंधी कार्य जल्द पूरेे किए जाएं। वृंदावनलाल वर्मा पार्क का भी भ्रमण कर कार्यों का निरीक्षण किया। लक्ष्मी तालाब के सौंदर्यीकरण का कार्य स्मार्ट सिटी के माध्यम से कराए जाने के निर्देश दिए। झोकन बाग मेमोरियल का विकास किया जाएगा। झांसी दुर्ग के आसपास भी सौंदर्यकरण होगा। एएसआई को कार्य स्वीकृति हेतु प्रस्ताव प्रेषित किए जाने के निर्देश दिए।
जिलाधिकारी आंद्रा वामसी ने अपने आवास पर झांसी के सौंदर्यीकरण व पर्यटन विकास के संबंध में आयोजित एक बैठक में उक्त निर्देश दिए। बैठक पश्चात विभिन्न स्थलों का निरीक्षण किया गया। जिलाधिकारी ने झोकन बाग स्थित मेमोरियल के जीर्णोद्धार व सौंदर्यीकरण व रानी झांसी दुर्ग के आसपास किए जाने वाले सुंदरीकरण कार्य के लिए स्वीकृति हेतु एएसआई को प्रस्ताव भेजे जाने के साथ तत्काल मेमोरियल के आसपास सफाई कराए जाने के निर्देश दिए। झांसी नगर के मध्य लक्ष्मी तालाब के सौंदर्यीकरण व पर्यटक स्थल बनाए जाने हेतु उक्त कार्य स्मार्ट सिटी के अंतर्गत लेते हुए नगर निगम से कराए जाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि अब तक जो कार्य जल निगम द्वारा किया गये है उसकी जानकारी देते हुए व्यय धनराशि का उपभोग प्रमाण पत्र जल निगम तत्काल उपलब्ध कराएं। जिला अधिकारी ने जल निगम को एसटीपी कार्य पूर्ण करने के निर्देश दिए। राजकीय उद्यान नारायण बाग को स्मार्ट पार्क बनाए जाने के लिए नगर निगम, झांसी विकास प्राधिकरण दोनों प्रापर स्टीमेट तैयार करें, स्मार्ट पार्क में ओपन जिम, तिरंगा, एलईडी लाईट, म्यूजिकल फाउंटेन, सुरक्षा, पार्किंग की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। नारायण बाग के आसपास पहाड़ियों का विकास हो उनका सौंदर्यीकरण करते हुए लाईटिंग की जाएगी। इस मौके पर मेयर रामतीर्थ, नगर आयुक्त् मनोज कुमार सिंह, उपाध्यक्ष जे डी ए सर्वेस कुमार दीक्षित, सीओ केंट डा. विनोद विग्नेश्वरन ए, डीडी उद्यान भैरम सिंह, मुख्य अभियंता नगर निगम लक्ष्मीनारायण, रोहन सिंह सहित अन्य विभागों के अधिकारी उपस्थित रहे।

क्‍या है ‘म्‍यूटिनी ऑफ 1857’

भारतवासी हो या महानगर वासी हम लोग जिसे प्रथम स्‍वतंत्रता संग्राम कहते हैं। अंग्रेज उसे म्‍यूटिनी ऑफ 1857 कहते हैं। इसका कारण झांसी किले पर उस समय अंग्रेजों ने कब्‍जा कर रखा था। मंगल पाण्‍डेे ने जब मेरठ की क्रांति करते हुए सिपाहियों को साथ लेकर कानपुर से होते हुए जब झांसी आए, तो यहां स्‍टार फोर्ट पर कब्‍जा कर लिया। वहां रखा अंग्रेजों का सारा गोला बारुद कब्‍जे में कर लिया। उसके बाद रानी महल में रह रहीं झांसी की महारानी लक्ष्‍मी बाई के साथ मिलकर किले पर कब्‍जा कर लिया। उसके बाद अंग्रेजों के बुजुर्ग और महिलाओं व बच्‍चों को उनके कैम्‍प तक छोड़ने के लिए रानी ने आदेश दिए। किले से वह लोग निकले, लेकिन उनकी लाशें दूसरे दिन झोकन बाग स्‍थित एक कुएं में पाई गईं। झांसी के इतिहास का यह एक काफी विवादित पहलू रहा है, जिसकी हकीकत कोई नहीं जानता और इतिहासकारों ने इसको अपने अपने हिसाब से लिखा है। पर अंग्रेजी इतिहास के हिसाब से इसको ‘म्‍यूटिनी ऑफ 1857 ‘ यानि 1857 की गदर कहा जाता है। झांसी की रानी से युद्ध और ग्‍वालियर में उनके वीरगति को प्राप्‍त होने के बाद अंग्रेज अधिकारी ने उक्‍त स्‍थान को एक स्‍मृति चिह्न बना दिया। जोकि झोकन बाग मेमोरियल के नाम से जाना जाने लगा। उक्‍त कुुुुएं के पास ही एक पत्‍थर लगवाकर मरने वालों के नाम लिखवा दिए गए। आजादी के बाद उक्‍त स्‍थान को पुरातत्‍व विभाग ने अपने संरक्षण में ले लिया, लेकिन उस स्‍थान की कदर नहीं की गई। बाद में पैगी आण्‍टी के नाम से जानी जाने वाली एक एंग्‍लो इण्‍डियन महिला व समाजसेवी ने उक्‍त पत्‍थर को कैण्‍ट स्‍थित कब्रिस्‍तान में लगवाकर सुरक्षित कर दिया। वर्तमान में उक्‍त मेमोरियल की हालत बहुत खराब है और वहां गंदगी व बदबू के कारण कोई भी जाता नहीं है।

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