“ज्योतिष शास्त्र में शमी के पौधे का है विशेष महत्व”, शनिदेव की मिलती है कृपा

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शमी के पेड़ के बारे में अक्‍सर लोग बात करते हैं और कई बार इस पेड़ का लगाने की कोशिश भी करते हैं। कुछ लगा लेते हैं, तो कईयों के यहां काफी प्रयत्‍न के बाद भी नहीं लग पाता है। शमी के पेड़ का ज्‍योतिष में भी काफी महत्‍व है और इस बारे में जानकारी दे रहे हैं मुम्‍बई के ज्‍योतिषविद वैभव डेकाटे। आप समय समय पर ऐसी जानकारियां ‘एशिया टाईम्‍स’ पर देते रहते हैं। यह भी काफी महत्‍वपूर्ण जानकारी है, जोकि आपके जीवन में काफी काम आएगी। आपसे अनुरोध है हमारे इन प्रयासों के बारे में फीड बैक अवश्‍य देते रहें, जिससे आपके पढ़ने लायक महत्‍वपूर्ण जानकारी आप तक पहुंचती रहे। साथ ही उस जानकारी से आप लाभांवित होते रहें।

ज्‍योतिषविद वैभव डेकाटे बताते हैं कि पुराणानुसार जो सप्तनगरीयाँ है- अयोध्या, मथुरा, हरिद्वार, काशी, कांची, अवंतिका(उज्जैन) और द्वारका..कभी समय मिले तो मंदिर प्रांगण या शहर के किसी एकांत जगह विचरण करते वक़्त ध्यान दीजियेगा, कि आपके आसपास सबसे अधिक कौन से पेड़-पौधे है? “शमी” तेजस्विता एवं दृढता का प्रतीक है। इसमें प्राकृतिक तौर पर अग्नितत्व की प्रचुरता होती है। इसलिए इसे यज्ञ में अग्नि को प्रज्जवलित करने हेतु उपयोग में लाया जाता है।

पौराणिक मान्यताओ के अनुसार:-

1. मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीरामजी ने लंका पर आक्रमण करने से पहले शमी के वृक्ष के सम्मुख अपनी विजय के लिए प्रार्थना की थी। लंका विजय के बाद भी श्रीराम ने शमी वृक्ष का पूजन किया था।

2. महाभारत काल में पांडवों ने अपने अज्ञातवास के दौरान शमी के पौधे में ही अपने अस्त्र-शस्त्र छिपाए थे।

3. कवि कालिदास को शमी के वृक्ष के नीचे बैठकर तपस्या करने से ही ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। इसी वजह से शमी का काफी अधिक महत्व है।

शमी के पेड़ का महत्‍व

शमी का पौधा घर के ईशाण_कोण (पूर्वोत्तर) में लगाना लाभकारी माना गया है। इसे घर में मुख्य द्वार के बाएं तरफ लगाना चाहिए। शमी का पौधा लगाने से कई प्रकार से वास्तुदोष दूर होते हैं। इसे लगाने से घर में नकारात्मक ऊर्जा नहीं आती है। नवग्रहों में “शनि_महाराज” को दंडाधिकारी का स्थान प्राप्त है, इसलिए जब शनि की दशा या साढ़ेसाती आती है, तब जातक के अच्छे-बुरे कर्मों का पूरा हिसाब होता है। इसलिये शनि के कोप से लोग भयभीत रहते हैं। पीपल और शमी दो ऐसे वृक्ष हैं, जिन पर शनि का प्रभाव होता है। पीपल का वृक्ष बहुत बड़ा होता है, इसलिए इसे घर में लगाना संभव नहीं होता। शनिवार की शाम को शमी वृक्ष की पूजा की जाए और इसके नीचे सरसों तेल का दीपक जलाया जाए, तो शनि दोष से कुप्रभाव से बचाव होता है। शनिवार को पेड़ के सबसे निचले भाग में उड़द की काली दाल और काले तिल चढ़ाएं।
शमी के वृक्ष पर कई देवताओं का वास होता है। सभी यज्ञों में शमी वृक्ष की समिधाओं का प्रयोग शुभ माना गया है। शमी के कांटों का प्रयोग तंत्र-मंत्र बाधा और नकारात्मक शक्तियों के नाश के लिए होता है। शमी के पंचांग (फूल, पत्ते, जड़ें, टहनियां और रस) का इस्तेमाल कर शनि संबंधी दोषों से जल्द मुक्ति पाई जा सकती है। शमी को वह्निवृक्ष भी कहा जाता है। आयुर्वेद की दृष्टि में तो शमी अत्यंत गुणकारी औषधी मानी गई है। कई रोगों में इस वृक्ष के अंग काम आते हैं।

लगाने की विधि एवं रखरखाव

25 अक्टूबर 2020, “दशहरे” के दिन दोपहर 1:30 से लेकर 2:40 के आसपास आप शमी का पौधा घर ले आये। यदि आप जमीन पर लगा लो तो बेहतर अन्यथा यदि आपको गमले में लगाना हो तो याद रखे कि ये पौधा थोड़ा बड़ा होता है अतः किसी घड़े/मटके में साफ़ मिट्टी में लगाये। आसपास नाली या कूड़ा-कचरा ना हो, ये याद रखें। जड़ के पास एक रुपये का “#सिक्का” और एक “#सुपारी” रखे, साथ ही “#लोहे” के कुछ छोटे नट-बोल्ट..ये जानकारी आपको अन्‍य जगहों पर मिलना मुश्‍किल है। गमलों की “अचल मिट्टी” और जमीन पर पौधों की “चलायमान मिट्टी” में फर्क रहता है, बारिश की वजह से मिट्टी को खनिज पदार्थ मिलते रहते है जबकि गमले में ये समस्या आती है। “लोहे” का आधिपत्य स्वय शनिदेव रखते है और जब शनै-शनै लोहे का खनिज शमी के पौधे को मिलता रहता है, इसके पत्ते के रंग में जबरदस्त निखार आता है। इस पौधे को बहुत ही कम पानी की जरूरत होती है पर धूप बहुत चाहिये होती है।

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