सिंधी समाज में बड़ी धूमधाम से मनाया गया टीजड़ी पर्व

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झांसी। सिंधी समाज का टीजड़ी पर्व (करवा चौथ) कृष्ण पक्ष की तृतीया को मनाया जाता है। झूलेलाल सिंधी महिला शक्ति संगठन के तत्वावधान में शनिवार को टीजड़ी पर्व धूमधाम से मनाया गया। कार्तिक मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाने वाला करवा चौथ का व्रत सिंधी समाज में 2 महीने पहले भाद्रपद माह की तृतीया को हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है।
समाज की महिलाएं इस दिन उपवास रखती हैं। शाम को सोलह श्रृंगार करके पूजा अर्चना करती हैं एवं रात को चंद्रमा को अर्ध्य देकर व्रत खोलती हैं। व्रत रखने वाली महिलाएं एक दिन पहले रात को अपने हाथों में मेहंदी लगवाती हैं। सूर्योदय से पहले सुबह चार बजे उठकर महिलाओं ने अमृतवेला के समय असुर (प्रसाद ग्रहण कर व्रत का संकल्प) किया। उसके बाद रात में चांद देखकर व्रत खोला गया। प्रातःकाल की बेला में पूज्य सिंधी पंचायत भवन 33 रानी महल पर झूलेलाल मंदिर में टीजड़ी माता को झूला झूलाया गया। शाम को मंदिर में ही टीजड़ी माता की कथा सुनकर दीप जलाए गए। करवा चौथ की तरह सिंधी समाज में टीजड़ी व्रत रखा जाता है। पति की लंबी आयु की कामना के लिए महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं। हर्षा कोडवानी ने बताया कि सिंधी समाज की महिलाओं के पर्व टीजड़ी में समाज की अविवाहित महिलाएं अच्छे जीवनसाथी और विवाहित महिलाएं अपने जीवनसाथी की लंबी उम्र के लिए पूरे दिन का निर्जल उपवास रखती है। जिस लड़की की शादी तय हो जाती है उसे भी इस व्रत को रखना होता है। उन्होंने बताया कि टीजड़ी के लिए दोनों पति पत्नी एक साथ मैचिंग परिधान पहन रहे हैं। बबिता हासानी ने बताया इस त्यौहार में टीजड़ी माता पर जल चढ़ाकर और माता जी को झूला झुलाकर आराधना करती हैं। पूरे दिन निर्जल उपवास रखती हैं। वे काफी उत्साहित हैं। उन्होंने पति के लिए सरप्राइज भी प्लान किया है। शाम को झूलेलाल मंदिर में ही समाज के पुरोहित पंडित कपिल शर्मा ने टीजड़ी माता की कथा सुनाई। उन्होंने बताया कि इसे कजली एवं हरियाली तीज भी कहा जाता है। इस दिन समाज की सुहागिनो द्वारा पति की दीर्घायु एवं परिवार की सुख समृद्धि के लिए दिन भर निर्जला उपवास रखा जाता है।
पूज्य सिन्धी सेंट्रल पंचायत के अध्यक्ष हरीश हासानी ने बताया कि जहां आज के दौर में लोग अपनी परंपराओं को भूलते जा रहे हैं। वहीं सिंधी समाज ने अपनी परंपराओं को सहेजकर रखा हुआ है। सिंधी समाज में प्रत्येक पर्व को बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है। उससे आने वाली पीढ़ी के लिए सुखद संदेश जाता है कि वह भी इन परंपरागत त्योहारों को मनाते हैं।
इस अवसर पर बबीता हासानी, हर्षा कोडवानी, नीलम नागपाल, डोली भाटिया, अनु हिरवानी, नीलू गोदवानी, कोमल बजाज, राधा कपिल शर्मा, दिशा कलवानी, कशिश खियानी, ज्योति खियानी, हिमानी कृपलानी, महक खियानी, नेहा वासवानी, पलक कुकरेजा, भाग्यश्री हिरवानी, सुनीता आनंद, हर्षिता आनंद, एकता राजपाल, संचिता नागपाल, जया पमनानी, भारती पमनानी, योगिता अशवानी, भावना वाधवानी, रिद्धिमा आहूजा, आरना कुकरेजा, रेखा भम्भानी, ममता माखीजा, साधना बचवानी, मानवी पवानी, सरोज जैसवानी, हेमा कलवानी, भावना चंचलानी, कौशल्या देवी, जानवी आहूजा, परी चंचलानी, सिमरन बचवानी, पारुल अमलानी, मोहिनी अमलानी, राजी पवानी, हर्षा चंदू कोडवानी, रत्ना करनानी आदि मौजूद रहीं।

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