प्रमाणिक बीज के उपयोग से ही किसानों का हित सम्भवः प्रो. अरविन्द

विवि में सम्पन्न हुआ किसानों के अधिकारों के संरक्षण हेतु प्रशिक्षण एवं जागरूकता कार्यक्रम

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झांंसी। देश को खाद्यान्‍न के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने हेतु खाद्यान्न उत्पादन में वृद्धि आवश्‍यक है। यह तभी सम्भ्व है जब हमारे किसान प्रमाणिक बीज के बारे में जागरूक हों। देश के किसानो का हित सिर्फ और सिर्फ प्रमाणिक बीज के उपयोग से ही सम्भव हो पायेगा। यह विचार आज रानी लक्ष्मीबाई केन्द्रीय कृषि विश्‍वविद्यालय के कुलपति प्रो. अरविन्द कुमार ने बुन्देलखण्ड विष्वविद्यालय परिसर में संचालित कृषि विज्ञान संस्थान तथा पौध किस्म एवं कृषक अधिकार प्राधिकरण, नई दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में विवि के गांधी सभागार मेंं पौधों की किस्मों और किसानों के अधिकारों के संरक्षण हेतु प्रशिक्षण एवं जागरूकता कार्यक्रम के उद्घाटन समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर व्यक्त किये। उन्होंने अपने वक्तव्य में बीज प्रमाणीकरण, उत्पादन, गुणात्मक सुधार एवं बीज संरक्षण अधिनियम-2001 के विभिन्न बिन्दुओं पर विस्तारपूर्वक चर्चा की।
विशिष्‍ट अतिथि गरौठा विधायक जवाहर सिंह राजपूत ने कहा कि कृषि विज्ञान संस्थान के विद्याथियों को सैद्धान्तिक ज्ञान के साथ-साथ व्यावहारिक ज्ञान भी प्राप्त करना चाहिये। इससे ही किसानाेंं की आय में वृद्धि सम्भव है। हमारा उद्देश्‍य अन्नदाता किसानों को महत्तम लाभ प्रदान करना होना चाहिये। उन्होंने कहा कि बुन्देलखण्ड जैसे सुखा प्रभावित क्षेत्र में हम सैद्धान्तिक तथा व्यावहारिक ज्ञान का उपयोग करके ही कृषि उत्पादन बढ़ा सकते है। श्री राजपूत ने कृषि विज्ञान संस्थान के शिक्षकों तथा छात्र-छात्राओं से इस दिशा मे कार्य करने की अपील भी की।
भीमराव अम्बेडकर आगरा विवि, आगरा के डा.पीके उपाध्याय ने कहा कि बीज संरक्षण अधिनियम-2001 किसानों के हितों की रक्षा करता है। इस अधिनियम का यदि सही अर्थो में अनुपालन हो तो भारत में कृषि एवं कृषक की स्थिति में परिवर्तन अवश्‍यमभावी होगा। उद्घाटन समारोह की अध्यक्षता करते हुए बुन्देलखण्ड विश्‍वविद्यालय के प्रभारी कुलपति प्रो. वीके सहगल ने कहा कि आज आवश्‍यकता इस बात की हैै कि कृषि वैज्ञानिक अपने शोध को कृषक के पास खेत तक पहुचाने का प्रयास करें। उन्होंने कृषि विज्ञान के क्षेत्र में सैद्धान्तिक तथा व्यावहारिक शोध में अन्तर समाप्त करने हेतु कृषि वैज्ञानिकों से कार्य करने का अनुरोध भी किया। इससे पूर्व कृषि विज्ञान संस्थान के विभागाध्यक्ष प्रो. सीबी सिंह ने कार्यशाला की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए कहा कि कार्यशाला का उद्देश्‍य किसानों को उनके अधिकारों के सम्बन्ध में जागरूक करना है। कार्यक्रम का प्रारम्भ मां सरस्वती के चित्र के सम्मुख दीप प्रज्जवलन, माल्यार्पण तथा सरस्वती वन्दना से हुआ। मंचासीन अतिथियों को पुष्‍पकलिका भेंटकर सम्मानित किया गया। संचालन डा. अकिता जैस्मिन लाल ने किया। आभार कृषि विज्ञान संस्थान के अकादमिक निदेशक प्रो. बी गंगवार ने व्यक्त किया। इस अवसर पर विज्ञान संकायाध्यक्ष प्रो. एसके कटियार, डा. ऋषि कुमार सक्सेना, डा. रमेश कुमार, डा.विजय कुमार यादव, डा. आरडी कुदेशिया, डा.राधिका चौघरी, डा.सन्तोष पाण्डेय, डा.राजेश पाण्डेय, डा. सत्यवीर सिंह, डा.पीके सिंह, डा. अरविन्द भारती, डा. महिपत सिंह, प्रदीप यादव, डा. बलबीर सिंंह, डा. हरपाल सिंह, डा. पीके बरेलिया आदि उपस्थित रहे। तकनीकी सत्र का संचालन डा. आरडी कुदेसिया ने किया।

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