झांसी। बुंदेलखंड विश्वविद्यालय से मास कम्यूनिकेशन एण्ड जर्नलिज्म से स्नातक की पढ़ाई की और शुरु से ही फिटनेस फाइटर होने के कारण जिम से नाता बना रहा, तो कुछ दिन फिटनेट इन्स्ट्रक्टर के तौर पर फौजियों को ट्रेनिंग भी दी। अपनी पढ़ाई के दौरान पत्रकारिता भी की।
यह हैं सदर बाजार स्थित बलदाऊ जी मंदिर के प्रबंधक एवम् पुजारी हिरदेश शुक्ला व गृहणी माता पूनम शुक्ला के पुत्र और एक डिजिटल मार्केटिंग कंपनी में मार्केटिंग हेड लकी शुक्ला के बड़े भाई रिषभ शुक्ला। इसके अलावा उनकी एक दादी भी है। एशियाटाईम्स डाट इन की टीम से बात करते हुए रिषभ ने बताया कि मैंने मास कम्युनिकेशन भी इसीलिए की थी कि शायद इससे मुझे बॉलीवुड में एंट्री मिल जाए। इन्होंने झांसी में ही कई नाटक भी किए है। इसके अलावा अनेकों नुक्कड़ नाटक भी किए है और कई शॉर्ट मूवीज भी की है। अभी वह मुंबई में संघर्ष कर रहे हैं। हाल ही में वह सब टीवी पर आने वाले शो तेनाली रामा एवम् एण्डटीवी पर आने वाला शो कहत हनुमान जय श्री राम में भी अपनी अदाकारी दिखा चुके है।
होली पर वह झांसी आए थे इसी दौरान कोरोना संक्रमण के कारण हुए लॉकडाउन की वजह से वह झांसी ही रुके हुए है। वापस जाकर उन्हें नेटफ्लिक्स की एक वेब सीरीज में भी एक्टिंग करना है। उन्होंने बताया कि शुरू से ही माता पिता का पूर्ण सहयोग रहा है। उन्होंने हमेशा यही कोशिश की है कि मुझे जो करना है मै वहीं करू। परिवार का साथ हमेशा से ही रहा है। कभी किसी बात के लिए रोक टोक नहीं हुई है माता पिता की तरफ से। रिषभ बताते हैं कि स्कूल से ही नाटक करने का मन होता था, किन्तु बचपन में थोड़ा डर था स्टेज का तो बचपन में तो कुछ खास किया नहीं, लेकिन कॉलेज में आने के बाद ये डर निकल गया, उसके बाद कुछ टाइम पत्रकारिता की फिर अपना पहला नाटक देवदत्त बुधौलिया के साथ किया। उन्होंने कई अभिनय की बारीकियां सिखाई है। बस फिर तभी से सोच लिया था कि बस अब करना तो एक्टिंग ही है।
रिषभ के अनुसार वह बचपन से ही हनुमान जी के भक्त रहे हैं और उनके परिजन भी पहलवान रह चुके है। बचपन से उनकी कहानियां सुन रहा हूं घर वालो से तो 17 वर्ष की उम्र से ही अखाड़ा जाने लगा था। बस फिर तभी से ये सिलसिला अभी तक जारी है। वह बताते हैं कि परिवार वालो का मानना है कि जीवन में अगर किसी चीज को सच्चे मन से चाहो तो वो एक नए एक दिन तो जरूर मिलती है और मै भी सिर्फ एक बात पर अपना जीवन चलता हूं, की कर्म करते जाओ फल भगवान जरूर देते है। ब्राह्मण व पिता के पुजारी होने के कारण वह बचपन से रामायण, गीता आदि का श्रवण करते रहे और पूजा पाठ में अत्यधिक विश्वास रखते है। उनका कहना है कि आपमें आत्मविशवास अच्छा होना चाहिए। बाकी जीवन में समस्याओं का क्या है वो तो जीवनभर हमारा साथ नहीं छोड़ती और जहां तक निराशा की बात है तो मेरा मानना है कि जीवन में जो भी होता है वह सब अच्छे के लिए ही होता है। एशिया टाईम्स की टीम उनको उज्जवल भविष्य की शुभकामनाएं देती है। वह अपने माता पिता व परिवार के साथ ही झांसी और बुन्देलखण्ड का नाम देश में रोशन करें।