व्‍यापार मण्‍डल यहां भी दें ध्‍यान: लॉक डाउन का कई व्‍यापारी उठा रहे हैं लाभ

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झांसी। एक ओर झांसी महानगर के अधिकतर व्‍यापार मण्‍डल लॉकडाउन बढ़ाने को लेकर मांग कर रहे हैं, वहीं इसका सबसे अधिक फायदा भी कई व्‍यापारी ही उठा रहे हैं। लॉकडाउन की घोषणा होते ही कई सामान अचानक से दुकानों पर महंगे हो जाते हैं। व्‍यापार मण्‍डलों को इस ओर भी ध्‍यान देना चाहिए, जिससे आम जनता कोरोना काल में वैसे ही पीस रही है। उनके साथ इस तरह की लूट न हो। हालांकि जैसे ही बाजार खुलने की घोषणा होती है, बाजारों में ही भीड़भाड़ एकदम बढ़ जाती है और जनता बेकाबू हो जाती है। दुकानों पर सोशल डिस्‍टेंस का ध्‍यान न जनता रख रही हैै और न व्‍यापारी रखते हैं। दुकानों के आगे बने गोले मात्र दिखावा बन कर रह जाते हैं। ऐसे में जहां झांसी में कोरोना महामारी लगातार बढ़ती जा रही है, तो इसका फायदा उठाने वाले भी अपनी मनमर्जी से सामानों की कीमतें बढ़ाकर बेचने से बाज नहीं आ रहे हैं।
सरकार कह रही है कि खाद्य सामग्री की कोई कमी नहीं है और बराबर इसकी आपूर्ति की जा रही है। ऐसे में विगत तीन माह पहले शुरु हुए लॉक डाउन में तो रात को प्रधानमंत्री द्वारा घोषणा करते ही बाजार में पब्‍लिक टूट कर पड़ी और व्‍यापारियों ने जमकर फायदा उठाया। आटा जो 20 रुपए से 30 रुपए किलो तक बिक रहा था, अचानक वह 50 से 60 रुपए किलो तक बिका। दालों पर भी 30 से 40 रुपए बढ़ाए गए, तो रिफाइण्‍ड व सरसों के तेल की कीमतें काफी बढ़ गईं। वहीं गुटखा और सिगरेट जैसी चीजों के दाम आसमान छूने लगे। प्रशासन तक भी यह बात पहुंची पर कार्रवाही नहीं हो सकी। उसके बाद भी लॉकडाउन में इन सभी चीजों की कीमतें उपर नीचे होती रही। इसके चलते कई व्‍यापारियों ने लोगों की मजबूरी का फायदा उठाते हुए अच्‍छा खासा पैसा कमा लिया। लॉक डाउन वन से अनलॉक टू तक आते आते सभी चीजों के दाम थोड़े थोड़े नियंत्रण में आए ही थे कि प्रदेश सरकार ने एक बार फिर दो दिन के लॉकडाउन की घोषणा की। लोगों के लिए राहत देते हुए बीच में एक दिन का समय आवश्‍यक सामान लेने के लिए दे दिया। बस फिर क्‍या था, इसका फायदा उठाने से कई व्‍यापारी नहीं चूके, आमतौर पर 100 रुपए के आसपास बिक रही दाल पर 20 से 25 रुपए बढ़ गए, तो अन्‍य खाद्य सामग्रियों और तेल पर भी मुनाफा कमाए बिना नहीं माने। वहीं गुटखा और सिगरेट आदि के दामों में भी उसी अनुपात में वृद्धि हो गई। अब ऐसे संकटकाल में जहां जनता परेशान है और किसी तरह अपना घर चला रही है, तो लॉकडाउन में कुछ व्‍यापारी इसका फायदा उठाने से नहीं बाज आ रहे हैं। इन पर कौन कार्रवाई करेगा और व्‍यापार मण्‍डल इस सम्‍बंध में क्‍या कहता है। इसको लेकर कई व्‍यापारी नेताओं से बात की गई। व्‍यापारी नेताओं का कहना है कि लॉकडाउन की मांग वह जनता को कोरोना महामारी से बचाने के लिए कर रहे हैं, लेकिन यदि कोई व्‍यापारी इसका फायदा उठाते हुए जनता को लूट रहा है, तो गलत कर रहा हैै। एक व्‍यापारी नेता तो बातों बातों में यह भी बता गए कि वह लॉकडाउन के पहले सामान लेने गए थे, जिसमें कुछ सामान उनको ही महंगा मिला। अब ऐसे में जनता लूट रही है, तो क्‍या कहा जा सकता है।

उप्र उद्योग व्‍यापार मण्‍डल के अध्‍यक्ष अशोक जैन बताते हैं कि लॉकडाउन का यह कतई मतलब नहीं कि संकट के इस समय में जनता के साथ बेईमानी की जाए। हां यह जरुर है कि इस समय कई सामानों में व्‍यापारी को मिलने वाली छूट कम हो गई है, जिसके कारण कुछ सामानों की कीमतें अपने आप बढ़ गई हैं। पर ऐसे कठिन समय में यदि कोई व्‍यापारी फायदा उठाते हुए सामान महंगे कर रहा है, तो यह गलत है और ऐसे व्‍यापारियों के बारे में संज्ञान में आते ही कार्रवाई की जाएगी। साथ ही प्रशासन से भी इस पर कार्रवाई करने की अपील की जाती है। ऐसे व्‍यापारियों का उनका व्‍यापार मण्‍डल साथ नहीं देगा।

उप्र व्‍यापार मण्‍डल अध्‍यक्ष संजय पटवारी बताते हैं कि उप्र व्‍यापार मण्‍डल ऐसे किसी भी कार्य से सहमत नहीं है और ऐसे व्‍यापारियों के काम की निंदा करता है। यह जो भी व्‍यापारी कर रहे हैं, गलत कर रहे हैं। उनकी जानकारी होने पर ऐसे व्‍यापारियों को व्‍यापार मण्‍डल से निष्‍कासित किया जाएगा। यदि उन पर प्रशासन कोई कार्रवाई करता है, तो उक्‍त व्‍यापारी के साथ व्‍यापार मण्‍डल खड़ा नहीं होगा।

जय बुन्‍देलखण्‍ड व्‍यापार मण्‍डल के अध्‍यक्ष अंचल अरजरिया का कहना है कि यह काफी गलत हो रहा है और अगर कोई व्‍यापारी ऐसा कर रहा है, तो उसे भगवान का भी खौफ नहीं है। इस मामले में प्रशासन को देखना चाहिए और ऐसे लोगों पर कार्रवाई करनी चाहिए। यह संकट काल है और ऐसे समय में अगर आप सक्षम हैं तो लोगों की मदद करनी चाहिए न कि उन्‍हें लूटना चाहिए।

झांसी व्‍यापार मण्‍डल के संयोजक संजय चड्ढा के अनुसार उनका व्‍यापार मण्‍डल ऐसे सभी व्‍यापारियों के खिलाफ है। हम उनके साथ नहीं खड़े हैं। उन व्‍यापारियों पर कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए।

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