जीवन को तृप्त कर देते हैं मां और प्रेम – मुरारी बापू

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ओरछा। राष्ट्रीय संत मुरारी बापू ने कहा कि मां और प्रेम का होना जीवन में बहुत आवश्यक है। यह जीवन को तृप्त कर देता है। प्रेम के बिना जीवन का कोई अर्थ नहीं है। सुरभि गौशाला के भव्य प्रांगण रामकथा के पांचवे दिन व्यासपीठ से बापू ने कहा की प्रभु राम दरबार के दर्शन में जाने से जीवन में सबकुछ आनंदमय हो जाता है। जीवन में खुशहाली आती है और सब कुछ मिल जाता है। कथा की शुरूआत शंखनाद व हनुमान चालिसा के बाद रामधून के साथ हुई।

बापू ने कहा कि भागवत दर्शन से प्रेम प्राप्त होता है, स्वास्थ्य दर्शन से प्रत्यक्ष प्रेम प्राप्त हो जाता है। बापू ने कहा की प्रभु के दर्शन से भी प्रेम पनपता है। उन्होंने एक शेर के माध्यम से कहा कि उसने देखते ही मुझे दुआओं से भर दिया, मैंने अभी सजदा भी नहीं किया था। बापू ने संत की परिभाषा का वर्णन करते हुए बताया कि संत वही होता हे जो शांत, सुशील, कुलीन व ध्यान निष्ठ होता है। कथा के पांचवे दिन बापू ने माँ की महिमा का बखान किया। मानस मर्मज्ञ बापू ने मानस कथा के अनुसार आज दशरथ नंदन राम के बाल्यकाल के प्रसंग सुनाये। बापू ने कहा कि संत दर्शन भी प्रेम प्रकट करता है, लेकिन संत कौन है, इसका निर्णय कैसे करें ? 21वी सदी में संत की परिभाषा क्या है ? क्या जो धोती, तिलक, छप, लंगोट में आये वो संत है ? बापू ने कहा कि संत की कुछ परिभाषाएं तय है। पहली जो किसी भी परिस्थिति में शांत रहे, सहज रहे वो संत है। योजना बनाकर सहज शांत रहने का दंभ भरने वाले संत नहीं हैं। बापू ने कहा कि जिस कुल का मनुष्य होता है, उसके व्यक्तित्व में वह कुलीनता प्रकट अवश्य होती है। तीसरा लक्षण है आश्रमी निष्ठा। जीवन के चारी आश्रमों में उसकी निष्ठा होनी चाहिए। चौथा लक्षण है ज्ञान निष्ठा, पांचवा सुवेश संत का पहनावा सीधा सदा हो, सात्विक हो, जिसे देखकर श्रृद्धा जगे, छठा लक्षण है आँखों का दर्शन, ऐसी आँख, जिसमे उपासना हो, वासना नहीं, सुनेत्र, सुनयन संत का गहना है, अगला लक्षण बापू ने बताया, संयमित और कम बोलना।

कथावाचक मोरारी बापू ने राम जन्म प्रसंग सुनाते हुए दांपत्य को आनंदमय बनाने का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि राम का अर्थ विश्राम, विराम व अभिराम है। पति – पत्नी से प्रेम करे, पत्नी पति को आदर दे और दोनों मिल कर ठाकुर की सेवा करें तो घर अवध बन जाएगा। यह तीन सूत्रीय फॉर्मूला जहां अपनाया गया वहां राम का जन्म होगा। राजा दशरथ और कौशल्या में प्रेम के कारण भगवान राम प्रकट हुए। बापू ने कहा कि रामकथा रसमयी व रहस्यमयी कथा है। परमात्मा आज भी लीला कर रहा है। परमात्मा की प्रतीक्षा करें, कृपा की नहीं। परमात्मा आएगा तो कृपा हो जाएगी। परिक्रमा के लिए जहां भी जाओ, परमात्मा साथ है। परिक्रमा प्रवाही परंपरा है। आदि काल में सूर्य से प्रारंभ हुई है। उन्होंने कहा कि जीवन रूपी रथ कृष्ण को सौंप दो। वो चलाएंगे तो मार्ग से नहीं भटकोगे। बीच-बीच में उपदेश देकर मार्गदर्शन भी करेंगे। अपनी लीलाओं से आनंद भी कराएंगे। बापू ने कहा कि सत्य की राह पर विघ्न आते हैं। प्रेम में बाधा आएगी। करुणा की राह में प्रहार होंगे। भक्ति में विघ्न आना स्वाभाविक है। परमात्मा मिले न मिले, परमात्मा का नाम हर वक्त साथ रखो। साधक को नियम का बंधन और प्रेम की स्वतंत्रता होनी चाहिए। सदा हंसते-मुस्कुराते प्रसन्न रहो। मैं रामकथा के माध्यम से प्रसन्नता बांट रहा हूं। कथा में भये प्रकट कृपाला दीनदयाला गाते हुए राम जन्म उत्सव मनाया गया। बुधवार को कथा स्थल पर म.प्र. शासन के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान विशेष रूप से उपस्थित रहे। उन्होने अपने सम्बोधन में श्री राम महिमा का वर्णन किया।

इस दौरान श्रीमद् जगदगुरू द्वाराचार्य मलूक पीठाधीश्वर श्रद्धेय राजेन्द्र दास देवाचार्य महाराज, अनुरूद्ध दास महाराज ओरछा, महन्त अनन्तदास महाराज, महामण्डेलश्वर संतोश दास महाराज, जिला धर्माचार्य महन्त विष्णु दत्त स्वामी, नगर धर्माचार्य प. हरिओम पाठक, बसन्त गोलवलकर, लल्लन महाराज,, मनोज पाठक, पीयूष रावत, अनिल रावत, आशीष राय, देवेश पाण्डेय, रत्नेश दुबे, पुनीत रावत, रीतेश दुबे, अंचल अड़जारिया, मनीष नीखरा, नीरज राय, भूपेन्द्र रायकवार, शिवशंकर संकल्प, अनिल दीक्षित, घनश्याम चौबे, सोनी कुशवाहा, बन्टू मिश्रा आदि उपस्थित रहे।

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